निर्वाचन आयोग की दृष्टि दो प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित होती है:-
- निर्वाचनी नीति और नियमों का निर्माण:- निर्वाचन आयोग का प्रमुख ध्येय होता है चुनावी प्रक्रिया को सुनिश्चित करना, जिसमें निष्पक्षता, पारदर्शिता, और अनुकूलता हो। यहां तक कि वोटरों को पंजीकरण से लेकर वोट डालने तक की प्रत्येक चरण में सुनिश्चित किया जाता है कि सभी नियम और प्रक्रियाएं सम्मान्यता से पालन की जाएं।
- चुनावी अपारदर्शिता और न्याय:- निर्वाचन आयोग चुनावी अपारदर्शिता को बढ़ावा देता है और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि चुनावी प्रक्रिया संवेदनशीलता से और अधिकारों की समझदारी के साथ संचालित हो।
इन मुख्य दृष्टिकोणों के माध्यम से, निर्वाचन आयोग न केवल चुनावी प्रक्रिया की न्यायिकता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि लोकतंत्र के मूल्यों और नैतिकताओं का पालन किया जाए।
निर्वाचन आयोग का मुख्य लक्ष्य लोकतंत्र को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाना होता है। इसके कुछ मुख्य लक्ष्य निम्नलिखित हैं:
- निर्वाचन निष्पक्षता: आयोग का प्रमुख उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में निष्पक्षता और न्यायिकता सुनिश्चित करना है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि चुनाव ईमानदारी से और समर्पितता से आयोजित होते हैं।
- चुनावी तंत्र की सुधार: निर्वाचन आयोग चुनावी प्रक्रिया में सुधार करने का कार्य करता है, जिससे चुनावी तंत्र का स्वच्छता, पारदर्शिता, और प्रभावकारिता बढ़ती हो।
- वोटर शिक्षा: आयोग वोटरों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में शिक्षित करता है, ताकि हर वोटर चुनाव में सक्रिय भागीदारी कर सके।
- चुनावी अपारदर्शिता: आयोग चुनावी अपारदर्शिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उद्देश्य होता है चुनाव प्रक्रिया को स्वच्छ और निष्पक्ष बनाए रखना।
- नवीनतम तकनीकी और प्रणालीकरण का उपयोग: आयोग नवीनतम तकनीकी और प्रणालीकरण का उपयोग करके चुनाव प्रक्रिया में सुधार करने का प्रयास करता है, जिससे चुनाव कार्य प्रभावी और अद्यतित हो सके।
इन लक्ष्यों के माध्यम से निर्वाचन आयोग लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता है और लोगों के विश्वास को बढ़ाता है कि उनका मत समय-समय पर और निष्पक्षता से गणित किया जाएगा।
भारत के चुनाव आयोग ने स्वयं सुशासन के मार्गदर्शक सिद्धांत निर्धारित किए हैं, ये हैं:-
- संविधान में निहित मूल्यों को कायम रखना, अर्थात समानता, समता, निष्पक्षता, स्वतंत्रता। साथ ही चुनावी शासन पर अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण में कानून का शासन।
- यथासंभव निष्पक्षता, पारदर्शिता, सत्यनिष्ठा, विश्वसनीयता, स्वतंत्रता, जवाबदेही, स्वायत्तता और व्यावसायिकता के उच्चतम मानक के साथ चुनाव कराना।
- मतदाता-अनुकूल वातावरण में चुनाव प्रक्रिया में सभी पात्र नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
- चुनाव प्रक्रिया के हित में राजनीतिक दलों और सभी हितधारकों के साथ जुड़ना।
- मतदाताओं, राजनीतिक दलों, चुनाव पदाधिकारियों, उम्मीदवारों और आम लोगों के बीच चुनाव प्रक्रिया के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना तथा भारत की चुनाव प्रणाली में लोगों का विश्वास और भरोसा बढ़ाना और मजबूत करना।
- चुनावी सेवाओं के प्रभावी वितरण के लिए मानव संसाधन का विकास करना।
- यह सुनिश्चित करना कि निर्वाचन प्रक्रिया के सुचारू संचालन के लिए गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाए।
- चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सभी क्षेत्रों में नई और बेहतर तकनीक अपनाना।
- भारत की निर्वाचन प्रणाली में राष्ट्र के लोगों के विश्वास और भरोसे को बनाए रखने और सुधारने के द्वारा लोकतांत्रिक मूल्यों के सुदृढ़ीकरण में योगदान देना।
- भारत निर्वाचन आयोग के विजन और मिशन की उत्कृष्टता और समग्र प्राप्ति के लिए नए और अभिनव तरीकों को अपनाने का प्रयास करना।
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