संसद के पास इस कार्य को निपटाने के लिए सीमित समय होता है। इसलिए संसद उन सभी विधायी तथा अन्य मामलों पर, जो उसके समक्ष आते हैं, गहराई के साथ विचार नहीं कर सकती। अत: संसद का बहुत सा काम सभा की समितियों द्वारा निपटाया जाता है, जिन्हें संसदीय समितियां कहते हैं।
- भारत की संसद में कई तरह की समितियाँ हैं। उन्हें उनके काम, उनकी सदस्यता और उनके कार्यकाल की अवधि के आधार पर विभेदित किया जा सकता है।
हालाँकि, मोटे तौर पर संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं – स्थायी समितियाँ और तदर्थ समितियाँ।
- स्थायी समितियां स्थायी होती हैं (प्रत्येक वर्ष या समय-समय पर गठित) और निरंतर आधार पर कार्य करती हैं।
- स्थायी समितियों को निम्नलिखित छह श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- वित्तीय समितियां
- विभागीय स्थायी समितियां
- पूछताछ के लिए समितियां
- जांच और नियंत्रण के लिए समितियां
- सदन के दिन-प्रतिदिन के कामकाज से संबंधित समितियाँ
- गृह व्यवस्था समितियां या सेवा समितियां
- स्थायी समितियों को निम्नलिखित छह श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
2. जबकि तदर्थ समितियां अस्थायी होती हैं तथा उन्हें सौंपे गए कार्य के पूरा हो जाने पर उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
- जांच समितियों और
- सलाहकार समितियों, में विभाजित किया गया है।
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