संसदीय प्रणाली में, विधायिका (संसद) कार्यपालिका (सरकार) पर नियंत्रण रखने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करती है। इनमें प्रश्नकाल, बहस, समितियां, अविश्वास प्रस्ताव और बजट अनुमोदन शामिल हैं।
हालांकि, कई देशों में, इन नियंत्रणों के अप्रभावी होने की शिकायतें आम हैं। भारत भी इसका अपवाद नहीं है।
संसदीय नियंत्रण की अप्रभावीता के कुछ प्रमुख कारण:
- बहुमतवादी दल का वर्चस्व: अक्सर, एक ही दल या गठबंधन का संसद में बहुमत होता है। यह स्थिति सरकार को विपक्षी दलों द्वारा किए गए किसी भी नियंत्रण उपाय का विरोध करने और अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने की अनुमति देती है।
- कमजोर विपक्ष: कई बार, विपक्षी दल बिखरे हुए होते हैं और उनके पास सरकार को चुनौती देने के लिए पर्याप्त संख्या या प्रभाव नहीं होता है।
- पार्टी अनुशासन: राजनीतिक दल अपने सदस्यों पर सख्त अनुशासन लगा सकते हैं, जिससे उन्हें सरकार के खिलाफ मतदान करने से रोका जा सकता है, भले ही वे व्यक्तिगत रूप से इसकी नीतियों से असहमत हों।
- धन और शक्ति का असंतुलन: सरकार के पास अक्सर विपक्षी दलों की तुलना में अधिक संसाधन और शक्ति होती है, जिसका उपयोग वे मीडिया को नियंत्रित करने, मतदाताओं को प्रभावित करने और विपक्षी सदस्यों को डराने-धमकाने के लिए कर सकते हैं।
- नौकरशाही की जटिलता: सरकारी नौकरशाही जटिल और अपारदर्शी हो सकती है, जिससे विधायिका के लिए सरकार की गतिविधियों पर प्रभावी ढंग से निगरानी करना और उस पर नियंत्रण रखना मुश्किल हो जाता है।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए कुछ संभावित उपाय:
- आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System): यह प्रणाली विभिन्न राजनीतिक दलों को संसद में उनकी लोकप्रियता के आधार पर सीटें प्राप्त करने की अनुमति देती है, जिससे विपक्ष को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है।
- विपक्षी दलों के लिए अधिक संसाधन: सरकार को विपक्षी दलों को धन और अन्य संसाधनों तक समान पहुंच प्रदान करनी चाहिए ताकि वे सरकार को प्रभावी ढंग से चुनौती दे सकें।
- संसदीय समितियों को अधिक शक्ति: संसदीय समितियों को सरकार की गतिविधियों की जांच करने और उस पर रिपोर्ट करने के लिए अधिक शक्तियां दी जानी चाहिए।
- सूचना की अधिक पारदर्शिता: सरकार को अपनी गतिविधियों और निर्णयों के बारे में अधिक पारदर्शी होना चाहिए ताकि जनता और विधायिका उनका मूल्यांकन कर सकें।
- नागरिक समाज की भागीदारी: नागरिक समाज संगठनों को सरकार को जवाबदेह ठहराने और संसदीय नियंत्रण को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
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