नागरिकता अधिनियम, 1955 में अधिनियम या संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार प्राप्त नागरिकता खोने के तीन कारण बताए गए हैंत्यागना, बर्खास्तगी या वंचित करना होना।
1. स्वैच्छिक त्याग : एक भारतीय नागरिक जो पूर्ण आयु और क्षमता का हो। ऐसी घोषणा के उपरांत वह भारत का नागरिक नहीं रहता। अपनी नागरिकता को त्याग सकता है। यदि इस तरह की घोषणा तब हो जब भारत युद्ध में व्यस्त हो तो केंद्र सरकार इसके पंजीकरण को एकतरफ रख सकती है। जब कोई व्यक्ति अपनी नागरिकता का परित्याग करता है। तो उस व्यक्ति का प्रत्येक नाबालिग बच्चा भारतीय नागरिक नहीं रहता, यद्यपि इस तरह के बच्चे की उम्र 18 वर्ष भारतीय होने पर वह भारतीय नागरिक बन सकता है।
2. बर्खास्तगी के द्वारा: यदि कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से किस अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर ले तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वयं बर्खास्त हो जाएगी। हालांकि यह व्यवस्था तब लागू नहीं होगी जब भारत युद्ध में व्यस्त हो।
3. वंचित करने द्वारा: केंद्र सरकार द्वारा भारतीय नागरिक को आवश्यक रूप से बर्खास्त करना होगा यदिः
- यदि नागरिकता फर्जी तरीके से प्राप्त की गयी हो।
- यदि नागरिक ने संविधान के प्रति अनादर जताया हो।
- यदि नागरिक ने युद्ध के दौरान शत्रु के साथ गैर कानूनी रूप से संबंध स्थापित किया हो या उसे कोई राष्ट्रविरोधी सूचना दी हो।
- पंजीकरण या प्राकृतिक नागरिकता के पांच वर्ष के दौरान नागरिक को किसी देश में दो वर्ष की कैद हुई हो।
- नागरिक सामान्य रूप से भारत के बाहर सात वर्षों से रह रहा हो।
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