राष्ट्रपति का कार्यकाल (अनुच्छेद 56)
- राष्ट्रपति अपने पदभार ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष की अवधि के लिए पद पर बने रहते हैं। हालाँकि, राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार किसी भी समय उपराष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देकर अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
- इसके अलावा, महाभियोग प्रक्रिया द्वारा राष्ट्रपति को उसके पद से हटाया जा सकता है, भले ही उसने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा न किया हो।
- जब तक राष्ट्रपति के पद पर आने वाला व्यक्ति अपना कार्यभार ग्रहण नहीं कर लेता, तब तक वर्तमान राष्ट्रपति 5 वर्ष से अधिक समय तक पद पर रह सकता है।
- वर्तमान राष्ट्रपति को भी किसी भी संख्या में कार्यकाल के लिए अपने पद पर पुनः निर्वाचित किया जा सकता है।
- हालाँकि, जैसा कि होता है, अमेरिका में किसी व्यक्ति को अधिकतम दो कार्यकाल के लिए ही राष्ट्रपति पद के लिए चुना जा सकता है।
राष्ट्रपति पर महाभियोग:
- अनुच्छेद 61 के अनुसार, राष्ट्रपति को उसके कार्यकाल की समाप्ति से पहले केवल ‘संविधान के उल्लंघन (Violation Of The Constitution) के आधार पर पद से हटाया जा सकता है। इस स्थिति में संसद के दोनों सदनों में से किसी में प्रस्ताव लाया जा सकता है।
- हालाँकि भारतीय संविधान में ‘संविधान का उल्लंघन’ वाक्यांश के अर्थ को परिभाषित नहीं किया गया है।
- राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया (Impeachment Process) संसद के किसी भी सदन में शुरू की जा सकती है।
- राष्ट्रपति के विरुद्ध प्रस्ताव पर सदन के कम-से-कम 1/4 सदस्यों के हस्ताक्षर होना आवश्यक है।
- पीठासीन पदाधिकारी(Presiding Officer) 14 दिन पूर्व इसकी सूचना राष्ट्रपति को देता है।
- इसके बाद राष्ट्रपति सदन में उपस्थित होकर अथवा अपने द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि को भेजकर अपना पक्ष रखता है।
- राष्ट्रपति पर महाभियोग का प्रस्ताव मूल सदन (Originating House) में विशेष बहुमत (दो-तिहाई) द्वारा पारित किया जाना चाहिये।
- इसके बाद प्रस्ताव को दूसरे सदन में विचार हेतु भेजा जाता है। दूसरा सदन एक निरीक्षक के रूप में कार्य करता है। राष्ट्रपति पर लगे आरोपों की जांँच के लिये एक प्रवर समिति का गठन किया जाता है।
- प्रक्रिया के दौरान राष्ट्रपति को अधिकृत वकील के माध्यम से अपना बचाव करने का अधिकार है। वह अपना बचाव करने का विकल्प चुन सकता है या ऐसा करने के लिये भारत के किसी व्यक्ति/वकील या अटॉर्नी जनरल को नियुक्त कर सकता है।
- यदि समिति राष्ट्रपति पर लगे आरोपों को सही पाती है तो दूसरा सदन भी अपनी उपस्थिति तथा मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पारित कर देता है।
- दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित होने के पश्चात राष्ट्रपति को पद त्याग करना होता है।
भारत के राष्ट्रपति का त्यागपत्र/ पदरिक्तता:-
उनका पद निम्नलिखित तरीकों से रिक्त हो सकता है:
- जब भारत का राष्ट्रपति अपने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लेता है
- यदि राष्ट्रपति भारत के उपराष्ट्रपति के समक्ष अपना त्यागपत्र प्रस्तुत कर दे
- यदि लोक सभा/राज्य सभा महाभियोग प्रस्ताव लाती है और वह वैध पाया जाता है तो उसे पद से हटा दिया जाता है।
- यदि वह कार्यालय में मर जाता है
- यदि सर्वोच्च न्यायालय उनके चुनाव को अवैध घोषित कर दे
- राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को देता है |
- उप राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को राष्ट्रपति के त्यागपत्र की सूचना दी जाती है |
- अनुच्छेद 62 राष्ट्रपति का पद खाली रहने पर उपराष्ट्रपति 6 महीने के लिए देश के राष्ट्रपति का दायित्व संभाल सकता है परंतु यदि वह ऐसा करने में किसी कारणवश असमर्थ है सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के पद पर आसीन होगा |
- यदि सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश भी किसी कारणवश उपलब्ध नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट का कोई अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश राष्ट्रपति पद का दायित्व संभालता है |
- अभी तक सर्वोच्च न्यायालय की एकमात्र मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्ला खां राष्ट्रपति का दायित्व संभाला है |
- यदि राष्ट्रपति पद की रिक्ति राष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के साथ होती है तो नए राष्ट्रपति का चुनाव कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व कर लिया जाता है।
- यदि नए राष्ट्रपति के चुनाव में किसी प्रकार की देरी होती है तो नए राष्ट्रपति का चुनाव होने पर पुराना राष्ट्रपति ही कार्यभार संभाल सकता है |
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