उपराष्ट्रपति का कार्यकाल (Term of office of the Vice-President):-
उपराष्ट्रपति अपने पदभार ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्ष तक पद पर बने रहते हैं।: परंतु–
(1) उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकते हैं।
(2) उपराष्ट्रपति, राज्य सभा के ऐसे संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा जिसे राज्य सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत ने पारित किया है और जिससे लोकसभा सहमत है; किंतु इस खंड के प्रयोजन (Purpose) के लिए कई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय (intent) की कम से कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हो;
(3) उपराष्ट्रपति, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी, तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है।
पदरिक्तता:-
उपराष्ट्रपति के पद पर रिक्ति उत्पन्न करने के अन्य तरीके नीचे दिए गए हैं:
- जब वह अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लेंगे
- जब वह इस्तीफा देंगे
- जब उसे हटा दिया जाता है
- उनकी मृत्यु पर
- जब उनका चुनाव शून्य घोषित कर दिया जाता है
(1) उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति से हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, पदावधि की समाप्ति से पहले ही पूर्ण कर लिया जाएगा।
(2) उपराष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से हुई उसके पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति होने के पश्चात् यथाशीघ्र किया जाएगा और रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति, अनुच्छेद 67 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की पूरी अवधि तक पद धारण करने का हकदार होगा।
Leave a Reply