भारत के उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता:
वरिष्ठ अधिवक्ता (एससीएसएन) वे वकील होते हैं जिन्हें भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा विशेष सम्मान और मान्यता प्रदान की जाती है। इन्हें अनुभवी, कुशल और नैतिक रूप से प्रतिबद्ध वकील माना जाता है।
योग्यता:
- अनुभव: वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के लिए, आपको कम से कम 10 वर्षों का अनुभव होना चाहिए, जिसमें 5 वर्षों का उच्चतम न्यायालय में प्रैक्टिस का अनुभव शामिल है।
- प्रतिष्ठा: आपको उच्च नैतिक मानकों और प्रतिष्ठा का होना चाहिए।
- कौशल: आपको कानून में मजबूत ज्ञान और कौशल का होना चाहिए, साथ ही उत्कृष्ट वाद-विवाद और संचार कौशल भी होना चाहिए।
- यदि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय का यह मत है कि कोई अधिवक्ता अपनी योग्यता अदालत में अपनी स्थिति, विशेष जानकारी या कानूनी अनुभव के आधार पर वरिष्ठ अधिवक्ता बनने का अधिकारी है तो उसे उसकी सहमति से वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया जा सकता है।
- वरिष्ठ अधिवक्ता किसी अन्य अधिवक्ता के बगैर उच्चतम न्यायालय में पेश नहीं हो सकता।
- दूसरे अधिवक्ता का नाम रिकॉर्ड में होना चाहिए। इसी तरह अन्य अदालतों और न्यायाधिकरणों में पेश होने के लिए सहयोगी अधिवक्ता का नाम राज्य सूची में दर्ज होना चाहिए।
- अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण के लिए शिक्षा का स्तर निर्धारित है। व्यावसायिक आचरण और व्यवहार पर नियंत्रण के साथ-साथ अन्य मामलों के लिए नियम बनाए गए हैं।
लाभ:
- सम्मान: वरिष्ठ अधिवक्ताओं को न्यायालय और कानूनी समुदाय द्वारा उच्च सम्मान दिया जाता है।
- विशेषाधिकार: उन्हें कुछ विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे कि न्यायाधीशों के समक्ष प्राथमिकता से सुनवाई और विशेष पोशाक पहनने का अधिकार।
- शुल्क: वे अपनी सेवाओं के लिए उच्च शुल्क ले सकते हैं।
जिम्मेदारियां:
- न्यायालय की सहायता: वरिष्ठ अधिवक्ताओं को न्यायालय को न्यायिक प्रक्रिया में सहायता करने की जिम्मेदारी होती है।
- नैतिक आचरण: उन्हें उच्चतम नैतिक मानकों का पालन करना चाहिए और वकील पेशे के सम्मान को बनाए रखना चाहिए।
- युवा वकीलों का मार्गदर्शन: उन्हें युवा वकीलों का मार्गदर्शन और सलाह देनी चाहिए।
महत्व:
वरिष्ठ अधिवक्ता भारतीय न्यायिक प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे न्यायालय और कानूनी समुदाय के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करते हैं।
एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड प्रणाली :
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoR) प्रणाली सर्वोच्च न्यायालय में मामले दायर करने के लिए जिम्मेदार अधिवक्ताओं की एक अनूठी श्रेणी है।
- एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoR) वादी( Litigant) और देश की सर्वोच्च अदालत के बीच कड़ी के रूप में कार्य करता है।
एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड प्रणाली की पात्रता मापदंड:
- सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013 एओआर के लिए पात्रता मानदंड निर्धारित करते हैं।
- एओआर दिल्ली स्थित विशिष्ट वकीलों का एक समूह है जिनकी कानूनी प्रैक्टिस ज्यादातर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष होती है। वे अन्य अदालतों में भी पेश हो सकते हैं.
- इस प्रथा के पीछे विचार यह है कि विशेष योग्यता वाला एक वकील, जिसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ही चुना जाता है, एक मुकदमेबाज के लिए उपस्थित होने के लिए सुसज्जित है क्योंकि यह मुकदमेबाज के लिए अंतिम अवसर वाला न्यायालय है।
- एक वकील को परीक्षा देने से पहले कम से कम एक वर्ष के लिए अदालत द्वारा अनुमोदित एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड से प्रशिक्षण लेना होगा।
- प्रशिक्षण शुरू करने से पहले वकील के पास कम से कम चार साल का कानूनी प्रैक्टिस होना चाहिए।
- एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड का कार्यालय दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के 16 किलोमीटर के दायरे में स्थित होना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त उसे एओआर के रूप में पंजीकृत होने के एक महीने के भीतर एक पंजीकृत क्लर्क को नियुक्त करने का वचन देना होगा।
- सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013 (AoR) के लिए पात्रता मानदंड निर्धारित करते हैं।
एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड की संवैधानिक स्थिति:
- एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड प्रणाली को नियंत्रित करने वाले नियम संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वयं बनाए जाते हैं।
- अनुच्छेद 145 सर्वोच्च न्यायालय को मामलों की सुनवाई के लिए नियम बनाने और प्रक्रियाओं को विनियमित करने का अधिकार देता है।
- एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड प्रणाली बैरिस्टर और सॉलिसिटर के ब्रिटिश मॉडल पर आधारित है, जहां बैरिस्टर मामलों पर बहस करते हैं और सॉलिसिटर ग्राहक मामलों को संभालते हैं।
भारत के उच्चतम न्यायालय के अन्य अधिवक्ता
भारत के उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के अलावा, अन्य कई अधिवक्ता भी प्रैक्टिस करते हैं। इन अधिवक्ताओं को सामान्य अधिवक्ता या जूनियर अधिवक्ता कहा जाता है।
ये वे अधिवक्ता है जिनका नाम अधिवक्ता अधिनियम 1961 , के अंतर्गत किसी बार काउन्सिल में दर्ज होता है। ये किसी पार्टी की तरफ से उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश हो सकते हैं।
योग्यता:
- वकील: उच्चतम न्यायालय में प्रैक्टिस करने के लिए, आपको भारतीय बार काउंसिल द्वारा वकील के रूप में पंजीकृत होना चाहिए।
- परीक्षा: आपको बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित ऑल इंडिया बार परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।
- कानून की डिग्री: आपके पास कानून में स्नातक की डिग्री (एलएलबी) या समकक्ष डिग्री होनी चाहिए।
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