- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 312 (Article 312) के अनुसार, संसद को संघ और राज्यों के लिये एक या एक से अधिक अखिल भारतीय सेवाएंँ (एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा सहित) बनाने का अधिकार प्राप्त है।
- इन सभी अखिल भारतीय सेवाओं में भर्ती संघ लोक सेवा आयोग ( Union Public Service Commission- UPSC) द्वारा की जाती है।
- राज्य स्तर पर प्रशासनिक सेवाओं हेतु राज्य लोक सेवा आयोग (State Public Service Commission- SPSC) द्वारा भर्ती की जाती है।
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भारत में केंद्रीय भर्ती एजेंसी है।
- भारतीय संविधान के भाग XIV में अनुच्छेद 315 से अनुच्छेद 323 के तहत संघ लोक सेवा आयोग की संरचना, उसके सदस्यों की नियुक्ति और निष्कासन तथा संघ लोक सेवा आयोग की शक्तियों और कार्यों से संबंधित प्रावधान किये गए हैं।
- यह एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है।
- केंद्र में UPSC के समानांतर राज्य में राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) कार्यरत्त है।
- संविधान के भाग XIV में अनुच्छेद 315 से अनुच्छेद 323 के तहत SPSC की संरचना, उसके सदस्यों की नियुक्ति और निष्कासन तथा SPSC की शक्तियों और कार्यों के बारे में प्रावधान किये गए हैं।
संवैधानिक प्रावधान:-
- अनुच्छेद 315: संघ और भारत के राज्यों हेतु लोक सेवा आयोगों (Public Service Commissions- PSC) का गठन।
- अनुच्छेद 316: UPSC के साथ-साथ SPSC के सदस्यों की नियुक्ति और कार्यकाल।
- अनुच्छेद 317: UPSC या SPSC दोनों के सदस्य को हटाना और निलंबित करना।
- अनुच्छेद 318: आयोग के सदस्यों और कर्मचारियों की सेवा की शर्तों हेतु नियम बनाने की शक्ति।
- अनुच्छेद 319: आयोग के सदस्यों द्वारा सदस्य न रहने पर पद धारण करने का प्रतिषेध।
- अनुच्छेद 320: लोक सेवा आयोगों के कार्यों का वर्णन।
- अनुच्छेद 321: लोक सेवा आयोगों के कार्यों का विस्तार करने की शक्ति।
- अनुच्छेद 322: लोक सेवा आयोगों के व्यय।
- अनुच्छेद 323: लोक सेवा आयोगों की रिपोर्ट।
संघ लोक सेवा आयोग की संरचना:-
- यूपीएससी में एक अध्यक्ष व 10 सदस्य होते हैं, लेकिन संविधान में इसके सदस्यों की संख्या निश्चित नहीं की गई है, बल्कि इसके सदस्यों की संख्या के निर्धारण की शक्ति राष्ट्रपति में निहित की गई है।
- वे छह वर्ष तक या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद पर बने रहते हैं
- राष्ट्रपति ही इसके सदस्यों की संख्या का निर्धारण करते हैं।
- इसके साथ-साथ राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व इसके सदस्यों की सेवा-शर्तों का निर्धारण भी करते हैं।
- संघ लोक सेवा आयोग के कुल सदस्यों में से आधे सदस्य ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें भारत सरकार या राज्य सरकारों में कम से कम 10 वर्षों तक काम करने का अनुभव प्राप्त हो।
संघ लोक सेवा आयोग को हटाना:- संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को हटाने का अधिकार और शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास है। संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को हटाने के लिए कुछ मामले और स्थितियाँ हैं। किसी भी स्थिति में केवल राष्ट्रपति ही अध्यक्ष और अन्य संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों को हटा सकता है।
- भारत के राष्ट्रपति को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 317 में उल्लिखित कारणों से यूपीएससी सदस्य को पद से हटाने का अधिकार है।
- संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य किसी भी समय भारत के राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं।
- राष्ट्रपति निम्नलिखित परिस्थितियों में यूपीएससी के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को हटा सकते हैं:
- यदि उसे दिवालिया घोषित कर दिया जाए।
- पद पर रहते हुए, यदि वह वेतनभोगी रोजगार में संलग्न है।
- यदि वह मन या शरीर की दुर्बलता के कारण अयोग्य हो जाता है।
- यदि उसकी ओर से कोई दुर्व्यवहार हुआ है।
- दुर्व्यवहार के मामले में राष्ट्रपति को मामले को जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट को भेजना होता है। सुप्रीम कोर्ट की सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी होती है।
संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति :-
- संविधान के अनुच्छेद 316 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति यूपीएससी के सदस्यों की नियुक्ति करते हैं।
- राष्ट्रपति को सदस्यों की नियुक्ति और स्थानांतरण से संबंधित मामलों पर संघ लोक सेवा आयोग से परामर्श करना आवश्यक है। हालाँकि, यूपीएससी द्वारा दी गई सलाह सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है।
- यूपीएससी की सदस्यता के लिए योग्यताएं भी संविधान में निर्दिष्ट हैं। अनुच्छेद 316 के अनुसार, कोई व्यक्ति यूपीएससी का सदस्य नियुक्त होने के लिए पात्र है, यदि वह निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करता है:
- वे भारत के नागरिक हैं।
- वे भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कम से कम दस वर्षों तक लाभ का पद धारण कर चुके हों।
- वे कम से कम दस वर्षों तक लगातार एक उच्च न्यायालय या दो या अधिक ऐसे न्यायालयों के अधिवक्ता रहे हों।
- उनके पास ऐसी शैक्षिक योग्यता और अनुभव है जिसे राष्ट्रपति उपयुक्त मानते हैं।
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