- राज्य सूचना आयोग का गठन राज्य सरकार द्वारा राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से किया जाएगा। इसमें एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 राज्य सूचना आयुक्त होते हैं और राज्यपाल द्वारा नियुक्त 10 से अधिक राज्य सूचना आयुक्त (एसआईसी) नहीं होंगे। जिनकी नियुक्ति एक समिति की सिफारिश के बाद राज्यपाल द्वारा की जाती है।
- इस पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति को सार्वजनिक जीवन में श्रेष्ठतम् व्यक्ति होना चाहिए और उसके पास लाभ का कोई अन्य पद नहीं होना चाहिए तथा वह किसी भी राजनीतिक दल के साथ या किसी भी व्यापार या किसी पेशे से नहीं जुड़ा हुआ होना चाहिए।
- राज्यपाल द्वारा पद की शपथ पहली अनुसूची में निर्धारित प्रपत्र के अनुसार दिलाई जाएगी।
- राज्य सूचना आयोग का मुख्यालय ऐसे स्थान पर होगा, जिसे राज्य सरकार निर्दिष्ट कर सकती है। राज्य सरकार के अनुमोदन से राज्य के अन्य हिस्सों में अन्य कार्यालय स्थापित किए जा सकते हैं।
राज्य सूचना आयोग (SIC) भारत में एक सांविधिक निकाय है, जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम (2005) के प्रावधानों के तहत गठित किया गया है।
- इस प्रकार, यह एक संवैधानिक निकाय नहीं है।
- यह राज्य सरकार के संगठनों में RTI अधिनियम को लागू करने के लिए पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करता है।
- आयोग के द्वारा RTI अधिनियम से संबंधित मामलों तथा राज्य सरकार के अंतर्गत सार्वजनिक कार्यालयों से संबंधित अपीलों का निर्णय किया जाता है।
राज्य सूचना आयोग (SIC) की संरचना:-
- राज्य सूचना आयोग (SIC) में एक राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और दस से अधिक राज्य सूचना आयुक्त होते हैं।
- इनकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें शामिल होते हैं:
- अध्यक्ष के रूप में मुख्य मंत्री;
- विधानसभा में विपक्ष के नेता;
- मुख्यमंत्री द्वारा नामित एक राज्य कैबिनेट मंत्री।
राज्य सूचना आयोग (SIC) सदस्यों की योग्यताएँ:-
- राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त सार्वजनिक जीवन में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होने चाहिए, जिनके पास निम्न क्षेत्रों में व्यापक ज्ञान और अनुभव हो:-
- विधि (Law)
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science and Technology)
- समाज सेवा (Social service)
- प्रबंधन (Management)
- पत्रकारिता (Journalism)
- संचार मीडिया (Mass media)
- प्रशासन और शासन (Administration and governance)
- वे निम्नलिखित नहीं होने चाहिए:
- किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की संसद या विधानमंडल के सदस्य
- किसी अन्य लाभ के पद पर आसीन
- किसी राजनीतिक दल से जुड़े हों
- किसी व्यवसाय तथा पेशे से सलंग्न नहीं होने चाहिए।
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