राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संरचना:-
- राज्य मानवाधिकार आयोग एक 3 सदस्यीय निकाय है, जिसमें एक अध्यक्ष तथा दो अन्य सदस्य होते हैं ।
- एक सदस्य न्यायिक (judicial) तथा दूसरा सदस्य गैर-न्यायिक (non- judicial) होता है ।
- आयोग का अध्यक्ष उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश तथा सदस्य उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त या कार्यरत न्यायाधीश होता है ।
- राज्य के जिला न्यायालय का कोई न्यायाधीश, जिसे कम से कम 7 वर्ष का अनुभव हो, अथवा कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे मानवाधिकारों के बारे में विशेष अनुभव हो, इस आयोग का सदस्य बन सकता है ।
- इस आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा एक 6- सदस्यीय समिति की अनुशंसा पर की जाती है ।
- राज्य का मुख्यमंत्री इस समिति का अध्यक्ष होता है ।
- राज्य विधानसभा अध्यक्ष, राज्य का गृहमंत्री तथा राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता इस समिति के अन्य सदस्य होते हैं ।
- ऐसे राज्यों में जहाँ विधानमंडल द्वि- सदनीय होता है, विधान परिषद का अध्यक्ष एवं विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी इस समिति के सदस्य होते हैं ।
- मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) प्रस्ताव, 2019 के तहत सेवानिवृत्त होने की समय सीमा (tenure) 5 वर्ष से घटा कर 3 वर्ष कर दी गई है।
- साथ ही आयोग से कार्यकाल पूरा होने के बाद अध्यक्ष एवं अन्य सदस्य पुनर्नियुक्ति के भी पात्र होंगे ।
SHRC के सदस्यों की नियुक्ति:-
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में नियुक्ति के नियम मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 2 , 3 और 4 में निर्धारित हैं ।
- भारत के प्रधान मंत्री (अध्यक्ष),
- भारत के गृह मंत्री,
- लोकसभा में विपक्ष के अध्यक्ष,
- राज्यसभा में विपक्ष के अध्यक्ष,
- लोकसभा के अध्यक्ष और
राज्यसभा के उपसभापति की एक समिति की सिफारिश पर, भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करते हैं।
- अध्यक्ष और अन्य सदस्य 5 साल या 70 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, तक सेवा करते हैं।
- अपने कार्यकाल के बाद, अध्यक्ष और सदस्य केंद्र या राज्य सरकारों के साथ रोजगार के लिए पात्र नहीं होते हैं।
SHRC के सदस्यों को हटाना:-
आयोग के अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य को दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश द्वारा पद से हटाया जा सकता है, यदि Supreme Court, किसी जांच के बाद, रिपोर्ट करता है कि अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य को ऐसे किसी आधार पर हटाया जाना चाहिए।
अध्यक्ष को अन्य आधारों पर हटाया जा सकता है यदि:-
- उसे दिवालिया घोषित कर दिया गया है,
- वह अपने कार्यकाल के दौरान अपने कार्यालय के कर्तव्यों के अलावा किसी भी भुगतान वाली नौकरी में लगा हुआ है।
- यदि वह दिमागी या शारीरिक तौर पर अपने दायित्वों के निवर्हन के अयोग्य हो गया हो;
- यदि वह मानसिक रूप अस्वस्थ हो तथा सक्षम न्यायालय द्वारा उसे अक्षम घोषित कर दिया गया हो; तथा
- यदि किसी अपराध के संबंध में उसे दोषी सिद्ध किया गया हो तथा उसे कारावास की सजा दी गयी हो;
- इसके अलावा, राष्ट्रपति आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों को सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर भी पद से हटा सकते हैं । ऐसे मामलों को जांच के लिये उच्चतम न्यायालय के पास भेजा जाता है और यदि उच्चतम न्यायालय जांच के उपरांत मामले को सही पाता है तो वह राष्ट्रपति को इस बारे में सलाह देता है, जिसके उपरांत राष्ट्रपति अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों को पद से हटा देते हैं ।
राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं, लेकिन उन्हें उनके पद से केवल राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है ।राष्ट्रपति इन्हें उसी आधार एवं उसी तरह पद से हटा सकते हैं, जिस प्रकार वे राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों को हटाते हैं ।
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