मानवाधिकार :-
- संयुक्त राष्ट्र (UN) की परिभाषा के अनुसार ये अधिकार जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त हैं।
- मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और काम एवं शिक्षा का अधिकार, आदि शामिल हैं।
- कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इन अधिकारों को प्राप्त करने का हक़दार होता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission-NHRC) :- एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत 12 अक्टूबर, 1993 को की गई थी।
- मानवाधिकार आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और 12 अक्टूबर, 2018 को इसने अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे किये।
- यह संविधान द्वारा दिये गए मानवाधिकारों जैसे – जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार और समानता का अधिकार आदि की रक्षा करता है और उनके प्रहरी के रूप में कार्य करता है।
मानवाधिकारों का इतिहास:-
- मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights- UDHR) एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ है, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर, 1948 को पेरिस में अपनाया गया था।
- मानव अधिकारों के इतिहास में यह बहुत महत्त्वपूर्ण घोषणा है, क्योंकि इसके द्वारा ही पहली बार मानव अधिकारों को सुरक्षित करने का प्रयास किया गया था।
- हर साल 10 दिसंबर को UDHR की सालगिरह के रूप में मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।
- 1991 में पेरिस में हुई संयुक्त राष्ट्र की बैठक ने सिद्धांतों का एक समूह (जिन्हें पेरिस सिद्धांतों के नाम से जाना जाता है) तैयार किया जो आगे चलकर राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं की स्थापना और संचालन की नींव साबित हुए।
- इन्हीं अधिकारों का अनुसरण करते हुए भारत में मानवाधिकारों में अधिक जवाबदेही और मज़बूती लाने के उद्देश्य से मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 बनाया गया।
- यह अधिनियम सभी राज्य सरकारों को भी राज्य मानवाधिकार आयोग बनाने का अधिकार देता है।
NHRC की संरचना:-
- NHRC के अध्यक्ष -भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे हैं।
- सदस्य 1 :-वह व्यक्ति जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश हो/रहा हो अथवा वह व्यक्ति जो किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश हो/रहा हो
- तीन सदस्य :- मानवाधिकार के मामलों में ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव वाले उम्मीदवार (कम से कम एक महिला सदस्य होनी चाहिए) की नियुक्ति की जाएगी।
- इसके अलावा आयोग के सात पदेन सदस्य होंगे:
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग
- राष्ट्रीय महिला आयोग
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग
- विकलांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त
- यह देश में मानवाधिकारों का प्रहरी है, यानी इसमें भारतीय संविधान द्वारा गारंटीकृत या अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध तथा भारत में न्यायालयों द्वारा लागू कानून के तहत व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं गरिमा से संबंधित अधिकार शामिल हैं।
- स्थापना:
- इसकी स्थापना मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम (Protection of Human Rights Act- PHRA), 1993 के प्रावधानों के तहत 12 अक्तूबर, 1993 को की गई।
- PHRA अधिनियम को मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 और मानवाधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा संशोधित किया गया था।
- इसे पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप स्थापित किया गया था, जिसे मानवाधिकारों के प्रचार और संरक्षण के लिये अपनाया गया था।
- नियुक्ति एवं कार्यकाल:
- अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा छह सदस्यीय समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है।
- समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा का उपसभापति, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता तथा केंद्रीय गृह मंत्री शामिल होते हैं।
- अध्यक्ष और सदस्य तीन वर्ष की अवधि के लिये या 70 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) पद पर बने रहते हैं।
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