केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) भारत में एक सांविधिक निकाय है, जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम (2005) के प्रावधानों के तहत स्थापित किया गया है।
- इस प्रकार, यह एक संवैधानिक निकाय नहीं है।
यह केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेशों (UT) में RTI अधिनियम को लागू करने के लिए पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करते है।
- आयोग के द्वारा RTI अधिनियम से संबंधित मामलों तथा केंद्र सरकार एवं केंद्र शासित प्रदेशों के अंतर्गत सार्वजनिक कार्यालयों से संबंधित अपीलों का निर्णय किया जाता है।
CIC का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
केंद्रीय सूचना आयोग (CEC) का गठन:-
- केंद्रीय सूचना आयोग (CEC) में एक मुख्य सूचना आयुक्त और दस से अनधिक सूचना आयुक्त होते हैं।
- इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें शामिल होते हैं:
- अध्यक्ष के रूप में प्रधान मंत्री;
- लोकसभा में विपक्ष के नेता;
- प्रधान मंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री।
CIC सदस्यों की योग्यताएँ:-
मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठित व्यक्ति होने चाहिए, जिनके पास निम्न क्षेत्रों में व्यापक ज्ञान और अनुभव हो:
- विधि (Law)
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science and Technology)
- समाज सेवा (Social service)
- प्रबंधन (Management)
- पत्रकारिता (Journalism)
- संचार मीडिया (Mass media)
- प्रशासन और शासन (Administration and governance)
वे निम्नलिखित नहीं होने चाहिए:
- किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की संसद या विधानमंडल के सदस्य;
- किसी अन्य लाभ के पद पर आसीन;
- किसी राजनीतिक दल से जुड़े हों;
- किसी व्यवसाय तथा पेशे से सलंग्न नहीं होने चाहिए।
CIC सदस्यों का कार्यकाल: –
- मुख्य सूचना आयुक्त तथा सूचना आयुक्त केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद धारण करते हैं।
- मुख्य सूचना आयुक्त के साथ-साथ सूचना आयुक्त भी पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होते है।
- एक सूचना आयुक्त को मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, बशर्ते कि सूचना आयुक्त के रूप में उनका कार्यकाल सहित कुल कार्यकाल पांच वर्ष से अधिक न हो।
सीआईसी सदस्यों को उनके पद से हटाना:-
- राष्ट्रपति मुख्य सूचना आयुक्त या किसी भी सूचना आयुक्त को कार्यालय से हटा सकते हैं यदि वह:
- दिवालिया घोषित कर दिया गया है;या
- ऐसे अपराध में दोषी ठहराया गया है, जो राष्ट्रपति की राय में नैतिक चरित्रहीनता है; या
- अपने कार्यकाल के दौरान अपने कार्यालय के कर्तव्यों के बाहर किसी भी भुगतान वाले रोजगार में संलग्न होते है;या
- राष्ट्रपति की राय में मानसिक या शारीरिक रूप से अशक्त होने के कारण पद पर बने रहने के लिए अयोग्य है;या
- वे किसी ऐसे लाभ को प्राप्त करते हुए पाये जाते है, जिससे उनके कार्य या निष्पक्षता प्रभावित होती है;या
- उपरोक्त परिस्थितियों के अतिरिक्त राष्ट्रपति साबित कदाचार या अक्षमता के आधार पर मुख्य सूचना आयुक्त या किसी भी सूचना आयुक्त को उनके पद से हटा सकते हैं।
- हालाँकि, ऐसे मामलों में राष्ट्रपति को जाँच के लिए मामले को उच्चतम न्यायालय को प्रेषित करना पड़ता है।
- यदि जाँच के बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा हटाने के कारण को सही ठहराया जाता है और ऐसी सलाह दी जाती है, तो राष्ट्रपति द्वारा उन्हें हटाया जा सकता है।
- राष्ट्रपति मुख्य सूचना आयुक्त या किसी भी सूचना आयुक्त को कार्यालय से हटा सकते हैं यदि वह:
CIC के वेतन और सेवा शर्तें:-
- मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के वेतन, भत्ते और अन्य सेवा शर्तें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है।
- उनके वेतन और सेवा शर्तों में उनकी सेवा के दौरान अलाभकारी परिवर्तन नहीं किये जा सकते।
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