अनुसूचित अपराधों के मुकदमे के लिये केंद्र सरकार NIA अधिनियम, 2008 की धारा 11 और 22 के तहत एक या अधिक विशेष न्यायालयों का गठन करती है।
संरचना:
- विशेष न्यायालय की अध्यक्षता एक न्यायाधीश द्वारा की जाती है जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर की जाती है।
- यदि आवश्यक हो तो केंद्र सरकार विशेष न्यायालय में एक या एक से अधिक अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति भी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर कर सकती है।
विशेष न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र:
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत सत्र न्यायालयों को प्राप्त सभी अधिकार विशेष न्यायालयों को भी प्राप्त हैं।
- किसी विशेष न्यायालय के अधिकार क्षेत्र पर किसी भी प्रश्न की स्थिति में इसे केंद्र सरकार को संदर्भित किया जाएगा जिसका निर्णय अंतिम होगा।
- सर्वोच्च न्यायालय किसी विशेष न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले को उस राज्य के किसी अन्य विशेष न्यायालय को अथवा किसी असाधारण मामले में जहाँ शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण, निष्पक्ष और त्वरित सुनवाई संभव नहीं हो, किसी अन्य राज्य के विशेष न्यायालय को हस्तांतरित कर सकता है।
- इसी प्रकार उच्च न्यायालय के पास यह शक्ति है कि वह किसी विशेष न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले को उस राज्य के किसी अन्य विशेष न्यायालय को हस्तांतरित कर सकता है।
हाल के संशोधनों से जुड़े मुद्दे:-
- संविधान की अनुसूची VII के तहत सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस बल का रखरखाव राज्य सूची का विषय है।
- यद्यपि आपराधिक कानून समवर्ती सूची और राष्ट्रीय सुरक्षा संघ सूची में शामिल विषय हैं।
- केंद्र सरकार के पास यह अधिकार है कि वह मानव तस्करी, विस्फोटक अधिनियम के अंतर्गत शामिल अपराध और शस्त्र अधिनियम के दायरे में किये गए कुछ अपराधों की जाँच का उत्तरदायित्व NIA को सौंप सकती है।
- यद्यपि उपरोक्त अधिनियम के दायरे में आने वाले प्रत्येक अपराध राष्ट्रीय सुरक्षा व संप्रभुता के लिये खतरा नहीं होते और राज्यों के पास इनसे निपटने की क्षमता मौजूद है।
- संशोधन विधेयक सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) की धारा 66F को अपराधों का सूचीकरण करते हुए अनुसूची में शामिल करता है।
- धारा 66F साइबर आतंकवाद से संबंधित है।
- लेकिन भारत में कोई डेटा सुरक्षा अधिनियम प्रवर्तित नहीं है और साइबर आतंकवाद की कोई परिभाषा तय नहीं की गई है।
- NIA अधिनियम में लाया गया संशोधन एजेंसी को व्यक्तियों द्वारा किये गए उन अपराधों की जाँच का भी अधिकार देता है जो भारतीय नागरिकों के विरुद्ध हैं या ‘भारत के हित को प्रभावित करने’ वाले हैं।
- हालाँकि ‘भारत के हित को प्रभावित करने’ वाक्यांश को परिभाषित नहीं किया गया है और सरकारों द्वारा भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिये इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त जिस विधान के तहत NIA को जाँच करने का अधिकार प्राप्त है, स्वयं वहाँ “भारत के हित को प्रभावित करने” का अपराध के रूप में उल्लेख नहीं है।
- संविधान की अनुसूची VII के तहत सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस बल का रखरखाव राज्य सूची का विषय है।
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