भारत में CAG की भूमिका:-
इस कार्यालय की भूमिका भारतीय संविधान के प्रावधानों और वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को बनाए रखना है। वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में संसद के प्रति कार्यपालिका (यानी मंत्रिपरिषद) की जवाबदेही CAG रिपोर्ट के माध्यम से सुरक्षित की जाती है।
यह कार्यालय संसद के प्रति उत्तरदायी है और उसका प्रतिनिधि है तथा उसकी ओर से व्यय का लेखा-जोखा रखता है।
- CAG को ‘यह पता लगाना है कि खातों में वितरित दिखाई गई धनराशि क्या कानूनी रूप से उस सेवा या उद्देश्य के लिए उपलब्ध थी जिसके लिए उसे लगाया गया या वसूला गया और क्या व्यय उस प्राधिकारी के अनुरूप है जो इसे नियंत्रित करता है।’
- कार्यालय औचित्य Audit कर सकता है, यानी वह सरकारी व्यय की ‘बुद्धिमत्ता, ईमानदारी और मितव्ययिता'(Thrift) की जांच कर सकता है और ऐसे व्यय की फिजूलखर्ची पर टिप्पणी कर सकता है। हालांकि, कानूनी और विनियामक ऑडिट के विपरीत, जो कि CAG के लिए अनिवार्य है, औचित्य ऑडिट (propriety audit) विवेकाधीन है।
- गुप्त सेवा व्यय CAG की लेखापरीक्षा भूमिका पर एक सीमा है। इस संबंध में, CAG कार्यकारी एजेंसियों द्वारा किए गए व्यय का विवरण नहीं मांग सकता है, लेकिन उसे सक्षम प्रशासनिक प्राधिकारी से यह प्रमाण पत्र स्वीकार करना होगा कि व्यय उसके अधिकार के तहत किया गया है।
- भारत के संविधान में इस कार्यालय को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक दोनों के रूप में माना गया है।
- हालाँकि, व्यवहार में, वर्तमान अधिकारी केवल महालेखा परीक्षक की भूमिका निभा रहा है, न कि नियंत्रक की।
- दूसरे शब्दों में, ‘कार्यालय का समेकित निधि से धन जारी करने पर कोई नियंत्रण नहीं है और कई विभागों को सीएजी से विशिष्ट प्राधिकार के बिना चेक जारी करके धन निकालने का अधिकार है, जो केवल लेखा परीक्षा चरण में ही चिंतित होता है जब व्यय पहले ही हो चुका होता है।
संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 148 मोटे तौर पर CAG की नियुक्ति, शपथ और सेवा की शर्तों से संबंधित है।
- अनुच्छेद 149 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है।
- अनुच्छेद 150 में कहा गया है कि संघ और राज्यों के लेखे ऐसे प्रारूप में रखे जाएंगे जैसा राष्ट्रपति, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की सलाह पर निर्धारित करें।
- अनुच्छेद 151 में कहा गया है कि संघ के लेखाओं से संबंधित भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत की जाएगी, जो उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।
- अनुच्छेद 279 “शुद्ध आय” की गणना से संबंधित है जिसे भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा सुनिश्चित और प्रमाणित किया जाता है, जिसका प्रमाण पत्र अंतिम होता है।
- तीसरी अनुसूची – भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची की धारा IV में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा पदभार ग्रहण करने के समय ली जाने वाली शपथ या प्रतिज्ञान का स्वरूप निर्धारित किया गया है।
- छठी अनुसूची के अनुसार जिला परिषद या क्षेत्रीय परिषद के खातों को राष्ट्रपति की स्वीकृति से CAG द्वारा निर्धारित प्रारूप में रखा जाना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त, इन निकायों के खातों का लेखा-जोखा ऐसे तरीके से किया जाता है जैसा कि CAG उचित समझे, तथा ऐसे खातों से संबंधित रिपोर्ट राज्यपाल को प्रस्तुत की जाएगी जो उन्हें परिषद के समक्ष प्रस्तुत करवाएगा।
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