2010 से भारत में चुनाव प्रणाली में सुधार:-
- एग्जिट पोल पर प्रतिबंध : भारत का चुनाव आयोग एक विशेष समय अवधि की घोषणा करता है, जिसके दौरान एग्जिट पोल आयोजित या घोषित नहीं किए जा सकते हैं।
- लोकसभा चुनाव लड़ने वाले सामान्य वर्ग के व्यक्तियों के लिए सुरक्षा जमा की राशि को आगे बढ़ाकर 25000 और अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों के लिए 12,500 कर दिया गया। राज्य विधान सभा चुनाव लड़ने के लिए सामान्य वर्ग के लिए राशि को बढ़ाकर 10,000 और SC ST वर्ग के लिए 5,000 कर दिया गया था।
- अयोग्य घोषित कराने के लिए मामला दर्ज कराने की समयसीमाः – 2009 में भ्रष्ट तरीका अपनाने वाले व्यक्ति को अयोग्य करार देने की प्रक्रिया सरल बनाने का प्रावधान किया गया। इसमें भ्रष्ट तरीका अपनाने का दोषी पाये गए व्यक्ति को अयोग्य करार देने के लिए उसके मामले को तीन माह के अंदर राष्ट्रपति के पास पेश करने का समय अधिकृत अधिकारी को दिया गया है।
- भ्रष्ट तरीके के घेरे में सभी अधिकारी : – 2009″ में सभी अधिकारियों, चाहे वे सरकारी सेवा में हों या चुनाव आयोग द्वारा चुनाव संचालित कराने के लिए प्रतिनियुक्त किए गए हों, को किसी उम्मीदवार से चुनाव में उसकी जीत की संभावनाएं बढ़ाने के लिए किसी तरह की मदद लेने पर भ्रष्ट तरीका अपनाने के घेरे में लेने का प्रावधान किया गया
- जमानत की राशि में बढोतरीः – 2009 में लोकसभा चुनाव लड्ने वाले उम्मीदवारों द्वारा जमा की जाने वाली जमानत की राशि सामान्य कोटि के उम्मीदवारों के लिए दस हजार से बढ़ाकर 25 हजार और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए पांच हजार से बढ़ाकर बारह हजार रुपया कर दी गई।
- जिले के भीतर अपीलीय प्राधिकरण : यदि कोई व्यक्ति निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी के निर्णय से असंतुष्ट है, तो पहले जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, कार्यकारी मजिस्ट्रेट या जिला कलेक्टर और बाद में निर्वाचन अधिकारी के पास अपील दायर करनी होगी।
- विदेश में रहने वाले भारत के नागरिकों को मतदान का अधिकार: यह जन प्रतिनिधित्व संशोधन अधिनियम 2010 द्वारा पेश किया गया था। विदेशों में रहने वाले व्यक्ति जिन्होंने किसी अन्य देश की नागरिकता हासिल नहीं की है, वे भारत में मतदान करने के पात्र हैं।
- मतदातासूचीमेंऑनलाइननामांकन: – वर्ष 2013 में, मतदाता सूची में नामांकन के लिए ऑनलाइन फाइलिंग के लिए एक प्रावधान किया गया था। इस उद्देश्य के लिए केन्द्र सरकार ने चुनाव आयोग से परामर्श कर नियम बनाएं जिन्हें मतदाता पंजीकरण (संशोधन) नियम, 2013 के नाम से जाना जाता है।” इन नियमों ने मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 में कतिपय संशोधन किया।
- नोटा (NOTA) विकल्प शुरू करना: – उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार चुनाव आयोग ने उपर्युक्त में से कोई नहीं के लिए मतदाता पत्रों/ ईवीएम मशीनों में प्रावधान किया ताकि मतदान केन्द्र तक आने वाले मतदाता चुनाव में खडे हुए किसी भी उम्मीदवारों में से किसी को चुनने का फैसला न करने वाले अपने मतदान की गोपनीयता को बनाए रखते हुए ऐसे उम्मीदावारों को मत नहीं डालने के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें
- मतदाता निरीक्षण पेपर ऑडिट ड्रायल (Voter Verifiable PaperAuditTrial,VVPAT)कीशुरुआत:- वीवीपीएटी ईवीएम से जुड़ी एक स्वतंत्र प्रणली है जो मतदाताओं को अनुमति देती है कि वे यह सत्यापित कर सकते हैं कि उनका मत उक्त उम्मीदवार को पड़ा है जिसके पक्ष में उन्होंने मत डाला था। जब मत पड्ता है तो एक स्लिप मुद्रित होती है और सात सेकंड के लिए एक पारदर्शी खिड़की उम्मीदवार की क्रम संख्या, नाम तथा चुनाव चिन्ह उजागर होता हे
- जेल या पुलिस हिरासत में रह रहा व्यक्ति चुनाव लड़ सकता हेः – वर्ष 2013″ में सर्वोच्च न्यायालय में पटना उच्च न्यायालय के एक आदेश को बहाल रखा जिसमें यह कहा गया था कि एक व्यक्ति को जेल या पुलिस हिरासत में होने की वजह से मतदान का अधिकार नहीं हौ, एक निर्वाचक नहीं है, इसलिए संसद या विधानसभा चुनाव लड्ने के लिए जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में ये नए प्रावधान जोडे गए:
- पहला प्रावधान स्पष्ट करता है कि मतदान से रोके जाने के कारण (जेल में या पुलिस हिरासत में रहने के कारण) कोई व्यक्ति जिसका नाम मतदाता सूची में प्रविष्ट है, निर्वाचक होने से नहीं रोका जाएगा।
- दूसरा प्रावधान स्पष्ट करता है कि एक संसद सदस्य अथवा विधानसभा सदस्य तभी अयोग्य माना जाएगा जबकि वह इस अधिनियम के अंतर्गत अयोग्य हो, किसी अन्य आधार पर उसे अयोग्य नहीं माना जाएगा।
- सिद्धदोषी सांसदों एवं विधायकों की तत्काल अयोग्यता प्रभावी: – 2013″ में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि अभियोग पत्रित सांसद और विधायक अपराध के लिए दोषी सिद्ध होने पर अपील के लिए तीन माह का नोटिस दिए जाने के बिना ही संसद या विधानसभा की सदस्यता से तत्काल प्रभाव से अयोग्य हो जाएंगे।
- चुनाव खर्च की सीमा बढी: – 2014″ में केन्द्र सरकार ने बड़े राज्यों में लोकसभा चुनावों के लिए खर्च सीमा बढ़ाकर रु. 70 लाख (पहले रु. 40 लाख) कर दी। अन्य राज्यों एवं संघशासित प्रदेशों में यह सीमा रु. 5 लाख (पहले 16-40 लाख रुपये) की गई।
- ईवीएम एवं मतपत्रों पर उम्मीदवारों के फोटो:- चुनाव आयोग के एक आदेशानुसार 1 मई, 2015 के बाद होने वाले किसी भी चुनाव में ईवीएम एवं मतपत्रों पर उम्मीदवारों का फोटो, नाम तथा पार्टी चुनाव चिन्ह के साथ प्रकाशित रहेंगे ताकि इस बारे में मतदाताओं के भ्रम का निवारण हो सके।
- एग्जिट पोल पर प्रतिबंध : भारत का चुनाव आयोग एक विशेष समय अवधि की घोषणा करता है, जिसके दौरान एग्जिट पोल आयोजित या घोषित नहीं किए जा सकते हैं।
भारतीय चुनाव आयोग (ECI) द्वारा किए गए उपाय :-
- चुनाव आयोग ने हाल ही में कई नई पहल की हैं, जिसमें राजनीतिक दल के प्रचार या प्रसारण के लिए राज्य के स्वामित्व वाले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग, जाँच करना शामिल है:
- राजनीतिक दलों का अपराधीकरण, चुनावी पहचान कार उपलब्ध कराना,
- राजनीतिक दलों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और उन्हें नियमित रूप से संगठनात्मक चुनाव कराने की आवश्यकता है,
- प्रतियोगियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए आदर्श आचार संहिता का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न उपाय ।
- भारत में, चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के नाम से जाने जाने वाले दिशानिर्देशों का एक सेट बनाया है, जिसका राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव से पहले पालन करना चाहिए।
- ये मानक यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि सत्तारूढ़ दल, राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर, चुनावों में अनुचित लाभ हासिल करने के लिए अपनी आधिकारिक स्थिति का लाभ नहीं उठाता है।
- एक व्यापक धारणा है कि भारत की चुनाव प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ है। अब समय आ गया है कि भारत की चुनाव प्रणाली से उन असामाजिक बुराइयों को दूर रखने के लिए हमारे संविधान में कुछ सख्त मानदंडों और कानूनों को शामिल किया जाए।
- चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के उपयोग में मतदाताओं का विश्वास सुनिश्चित करने के लिए ECI ने पहल की है।
- चुनाव प्रक्रिया के दौरान, वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) मशीनों का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि मतदाताओं द्वारा डाले गए वोट सही उम्मीदवारों को मिले।
- सत्यापन की दूसरी परत वीवीपैट है। EVM से छेड़छाड़ को रोकने के लिए कई चुनावों में VVPAT का इस्तेमाल किया गया है।
- VVPATs मतदाताओं का विश्वास बढ़ाने और मतदान की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- चुनाव आयोग ने हाल ही में कई नई पहल की हैं, जिसमें राजनीतिक दल के प्रचार या प्रसारण के लिए राज्य के स्वामित्व वाले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग, जाँच करना शामिल है:
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