- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को केंद्र सरकार और उसके प्राधिकारियों में संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के पद के अधिकारियों द्वारा किए गए किसी अपराध की जांच या अन्वेषण करने से पहले केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करना आवश्यक है।
- हालांकि, 6 मई, 2012 को सर्वोच्च न्यायालय ने उस कानूनी प्रावधान को अमान्य कर दिया, जिसमें केंद्रीय निगरानी ब्यूरो को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत वरिष्ठ नौकरशाहों के खिलाफ जाँच करने के लिए पूर्वानुमति की जरूरत थी।
- हालाँकि, 2014 में, सर्वोच्च न्यायालय की एक संविधान पीठ ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम की धारा 6A को, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भ्रष्टाचार के मामलों में संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के लिए सीबीआई के लिए पूर्व अनुमति अनिवार्य बनाती है, अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होने के आधार पर अवैध करार दिया था।
- अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए CBI के निदेशक ने कहा, यह एक एतिहासिक फैसला है। यह कई मामलों की जाँच में आयोग का सक्षम बनाएगा। संविधान पीठ ने जिस प्रावधान को समाप्त कर दिया है उससे लटके पड़े केसों का निपटारा होगा। हम लोग बहुत पहले से इस विचार के थे कि वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जाँच के लिए पूर्वानुमति आवश्यक नहीं।”
- मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “‘ भ्रष्टाचार देश का दुश्मन है। एक भ्रष्ट नौकरशाह को चाहे, वह कितने भी ऊँचे पद पर क्यों न हो, को खोज निकालना और दंडित करना
- यह PC Act 1988 के अधीन एक अनिवार्य अधिदेश है। किसी सरकारी सेवक का पर उसे एकसमान न्याय से छूट के योग्य नहीं बनता।
- निर्णय लेने की शक्ति भ्रष्ट अधिकारियों को दो वर्गों में नहीं बाँटती क्योंकि वे सामान्य अपराधी हैं। उन्हें जाँच और पूछताछ की एक ही प्रक्रिया से गुजरना है।”
- पीठ ने कहा, “DSPEAct की धारा 6A (जो एक दर्ज के अधिकारियों को सुरक्षा देता है) सीथे-सीधे नुकसान देह है।
- यह PC Act, 1988 के लक्ष्य और तर्क के खिलाफ है।
- यह उच्चस्तरीय भ्रष्टाचार को पकड़ने तथा दंडित करने के लक्ष्य को कमजोर करता है।
- यह कैसे संभव है कि दो सरकारी कर्मचारी जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार या घूसखोरी के आरोप हैं या आपराधिक गतिविधि के आरोप I PC Act, 1988 के अंतर्गत उन दोनों के खिलाफ अलग-अलग तरह की कार्रवाई होगी,
- पीठ ने आगे कहा कि, “धारा 64 का प्रावधान भ्रष्ट वरिष्ठ अधिकारियों को पकड़ने की प्रक्रिया को बाधित करता है क्योंकि बिना केंद्र सरकार का पूर्वानुमति के केंद्रीय जाँच ब्यूरो प्रारंभिक जाँच भी नहीं कर सकता गहन जाँच तो बाद की बात है। धारा 6^ के अंतर्गत प्राप्त सुरक्षा भ्रष्ट को बचाने की प्रवृत्ति है।”
- यह बताते हुए कि भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को कोई सुरक्षा नहीं दी जा सकती, पीठ ने कहा: ‘”जाँच का लक्ष्य है सच का पता लगाना और जो कानून इस लक्ष्य के लिए बाधक बनता है वह अनुच्छेद 14 के पैमाने पर खरा नहीं उतर सकता कानून का उल्लंघन हमारी राज्य में, समानता का नकार है अनुच्छेद 14 के अंतर्गत धारा 6A अनुच्छेद 13 इन पक्षों के अनुसार असरहीन है।
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