राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति:-
- संविधान का अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदन अथवा एक सदन सत्र में ना होने की स्थिति में अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संविधान राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति पर निम्नलिखित चार सीमाएँ आरोपित करता है:
1.राष्ट्रपति अध्यादेश तभी जारी कर सकते है जब संसद के दोनों सदन या उसमें से कोई एक सदन सत्र में न हो।
- दोनों सदनों के सत्र में रहते हुए राष्ट्रपति द्वारा जारी किया गया अध्यादेश शून्य और निरर्थक है। अतः राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति विधायिका के समानांतर शक्ति नहीं है।
2.राष्ट्रपति अध्यादेश तभी जारी कर सकते है जब वह इस बात से संतुष्ट हो जाए कि ऐसी परिस्थितियाँ मौजूद हैं जिनके कारण उन्हें तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक हो गया है।
- राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति पर कुछ निम्नलिखित सीमाएँ है:-
- संसद की विधायी शक्तियों के संबंध में सभी मामलों के लिए व्यापक है।
- केवल उन्हीं विषयों पर अध्यादेश जारी किया जा सकता है जिन पर संसद को कानून बनाने का अधिकार है।
- अध्यादेश संसद के अधिनियम के समान संवैधानिक सीमा के अधीन है। इसलिए, कोई अध्यादेश किसी भी मौलिक अधिकार का हनन या कम नहीं कर सकता।
- अध्यादेश की अवधि के संबंध में:
- संसद के दोनों सदन या कोई एक सदन के सत्र ना की स्थिति के दौरान राष्ट्रपति द्वारा घोषित प्रत्येक अध्यादेश संसद की पुनः बैठक होने पर दोनों सदनों के समक्ष रखा जाना चाहिए।
- राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति पर कुछ निम्नलिखित सीमाएँ है:-
3.संसद के पास इस प्रकार लाए गए अध्यादेश के संबंध में निम्नलिखित तीन विकल्प हैं:
- अध्यादेश को स्वीकृति : यदि संसद के दोनों सदन द्वारा अध्यादेश को स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह तुरंत एक कानून बन जाता है।
- अध्यादेश को अस्वीकार : यदि संसद के दोनों सदन अध्यादेश को अस्वीकार करने का प्रस्ताव पारित करते हैं, तो यह तुरंत ही समाप्त हो जाता है।
- कोई कार्रवाई नहीं: यदि संसद द्वारा अध्यादेश के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह संसद के पुन: बैठक के छह सप्ताह की समाप्ति पर यह अध्यादेश स्वत: ही समाप्त हो जाता है।
- यदि संसद के सदनों की अलग-अलग तिथियों पर पुनः बैठक की जाती है, तो छह सप्ताह की अवधि की गणना उन तिथियों में से बाद वाली बैठक की तिथि से की जाती है।
- इस प्रकार, संसद द्वारा अस्वीकृत होने की स्थिति में, अध्यादेश का अधिकतम जीवनकाल छह महीने और छह सप्ताह हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि संसद के सत्रों के बीच अधिकतम संभव अंतराल छह माह का हो सकता है।
4.राष्ट्रपति द्वारा घोषित अध्यादेश के संबंध में निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए:
- यदि किसी अध्यादेश को संसद के समक्ष रखे बिना समाप्त होने दिया जाता है, तो उस अध्यादेश के तहत किये गए कार्यों को पूरी तरह से वैध और प्रभावी माना जाता हैं।
- राष्ट्रपति किसी भी समय अध्यादेश को वापस ले सकते है।
- हालाँकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति कोई विवेकाधीन शक्ति नहीं है।बल्कि वह केवल केंद्रीय मंत्रिपरिषद (COMs) की सलाह पर किसी अध्यादेश को जारी या वापस ले सकते है।
- किसी भी अन्य कानून की तरह, एक अध्यादेश भी पूर्वव्यापी हो सकता है। इस प्रकार, यह भूतकालिक तिथि से लागू हो सकता है।
- जहाँ तक अध्यादेश की परिधि का प्रश्न है, यह
- संसद के किसी अधिनियम या किसी अन्य अध्यादेश को संशोधित या निरस्त कर सकता है।
- किसी कर कानून में संशोधन कर सकते हैं।
- लेकिन संविधान में संशोधन नहीं कर सकते
- यदि किसी अध्यादेश को संसद के समक्ष रखे बिना समाप्त होने दिया जाता है, तो उस अध्यादेश के तहत किये गए कार्यों को पूरी तरह से वैध और प्रभावी माना जाता हैं।
इसका राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने की राष्ट्रपति की शक्ति से कोई संबंध नहीं है
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