सीआईसी/एससीआईसी के पास सिविल न्यायालय की शक्तियां होंगी जैसे –
- उचित आधार होने पर आयोग किसी भी मामले में स्वत: संज्ञान लेकर जांच का आदेश दे सकता है।
- जांच करते समय आयोग को निम्नलिखित मामलों के संबंध में एक सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त होती हैं:
- किसी भी व्यक्ति को उपस्थित होने तथा उन्हें शपथ पर मौखिक या लिखित साक्ष्य देने एवं दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए बाध्य करना।
- दस्तावेजों की पड़ताल और निरीक्षण की आवश्यकता होती है;
- शपथपत्र पर साक्ष्य प्राप्त करना;
- किसी भी अदालत या कार्यालय से कोई भी सार्वजनिक रिकार्ड प्राप्त करने के लिए प्रार्थन करना।
- गवाहों या दस्तावेजों और अन्य किसी मामलों का, जिसका निर्धारण किया जा सकता है, की पूछताछ के लिए सम्मन जारी करना।
- जब एक लोक प्राधिकरण इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं करता है तब आयोग इसके पालन को सुनिश्चत करने के लिए कदम उठाने की सिफारिश कर सकता है।
- शिकायत की जांच के दौरान, आयोग किसी भी ऐसे रिकॉर्ड की जांच कर सकता है जो सार्वजनिक प्राधिकरण के नियंत्रण में है और ऐसे किसी भी रिकॉर्ड को किसी भी आधार पर रोका नहीं जा सकता है।
- दूसरे शब्दों में, जाँच के लिए आयोग के समक्ष सभी सार्वजनिक रिकॉर्ड प्रस्तुत किये जाने चाहिए।
- शिकायत की जांच के दौरान, आयोग किसी भी ऐसे रिकॉर्ड की जांच कर सकता है जो सार्वजनिक प्राधिकरण के नियंत्रण में है और ऐसे किसी भी रिकॉर्ड को किसी भी आधार पर रोका नहीं जा सकता है।
सार्वजनिक प्राधिकरण से अपने निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित करने की शक्ति में शामिल हैं-
- किसी विशेष रूप में सूचना तक पहुँच प्रदान करना।
- जहाँ कोई सार्वजनिक सूचना अधिकारी न हो वहां उसे नियुक्त करने का आदेश देना।
- सूचना या सूचना की श्रेणियों को प्रकाशित करना।
- अभिलेखों के प्रबंधन, रखरखाव और विनाश से संबंधित प्रथाओं में आवश्यक परिवर्तन करना;
- सूचना के अधिकार(RTI) पर अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण प्रावधान को सुनिश्चित करना।
- इस अधिनियम के अनुपालन पर सार्वजनिक प्राधिकरण से वार्षिक रिपोर्ट प्राप्त करना।
- आवेदक को हुए किसी भी नुकसान या अन्य क्षति के लिए सार्वजनिक प्राधिकरण को क्षतिपूर्ति की माँग करना।
- इस अधिनियम के तहत जुर्माना लगाना, और
- आवेदन को अस्वीकार करना। (धारा 18 और धारा 19)
- जब कोई सार्वजनिक प्राधिकरण इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं करता है, तो आयोग, प्राधिकरण के विरुद्ध ऐसे कदम उठाने की सिफारिश कर सकता है जो इस तरह के अनुरूपता को बढ़ावा देने के लिए उठाए जाने चाहिए।
राज्य सूचना आयोग (SIC) के कार्य:-
- आयोग का कर्तव्य है कि वह किसी ऐसे व्यक्ति की शिकायत प्राप्त करें और उसकी जांच करें, जो:-
- जन सूचना अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने के कारण सूचना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने में असमर्थ हों।
- मांगी गई सूचना को देने से इनकार कर दिया गया हों।
- जिसे निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने सूचना अनुरोध का जवाब प्राप्त नहीं हुआ हों।
- ऐसी फीस की रकम अदा करने की अपेक्षा की गई हों, जो वह अनुचित समझता हों।
- यदि व्यक्ति को प्रदान की गई सूचना अपूर्ण, भ्रामक और मिथ्या हों।
- आयोग इस अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर एक वार्षिक रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपता है।
- राज्य सरकार इस रिपोर्ट को विधानसभा के समक्ष रखती है।
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