भारतीय निर्वाचन आयोग की शक्तियों और कार्यों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है ;-
- प्रशासनिक कार्य:-
- चुनाव की तारीखें और कार्यक्रम अधिसूचित करना तथा नामांकन पत्रों की जांच करना।
- मतदाता सूची तैयार करना और उसमें संशोधन करना तथा सभी पात्र मतदाताओं को पंजीकृत करना।
- सम्पूर्ण भारत में निर्वाचन क्षेत्रों के क्षेत्रों का निर्धारण करना।
- राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना तथा राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्ह आवंटित करना।
- राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने तथा उन्हें चुनाव चिन्ह आवंटित करने से संबंधित विवादों को निपटाने के लिए न्यायालय के रूप में कार्य करना।
- आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू करना।
- चुनावी व्यवस्था से संबंधित विवादों की जांच के लिए अधिकारियों की नियुक्ति।
- रेडियो और टीवी पर राजनीतिक दलों की नीतियों के प्रचार के लिए रोस्टर तैयार करना।
- संसद सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामलों पर भारत के राष्ट्रपति को सलाह देना।
- राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामलों पर राज्य के राज्यपाल को सलाह देना।
- धांधली, बूथ कैप्चरिंग आदि की स्थिति में चुनाव रद्द करना।
- भारत के राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल से चुनाव कराने के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति हेतु अनुरोध करना।
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पूरे देश में चुनाव मशीनरी की निगरानी करना।
- राज्य में राष्ट्रपति शासन के परिदृश्य पर भारत के राष्ट्रपति को सलाह देना।
- चुनावों के लिए राजनीतिक दलों का पंजीकरण करना तथा उनके चुनावी प्रदर्शन के आधार पर उन्हें राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय राजनीतिक दल का दर्जा प्रदान करना।
- सलाहकारी कार्य (Advisory Functions)
- राष्ट्रपति को संसद सदस्यों की अयोग्यताओं से संबंधित मामलों पर सलाह देना।
- राज्यपाल को राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यताओं से संबंधित मामलों पर सलाह देना।
- राष्ट्रपति को यह सलाह देना कि क्या राष्ट्रपति शासन के अधीन किसी राज्य में चुनाव हो सकते हैं।
- अर्ध-न्यायिक कार्य (Quasi-Judicial Functions):-
- राजनीतिक दलों को मान्यता देने और उन्हें चुनाव चिन्ह आवंटित करने से संबंधित विवादों को निपटाने के लिए न्यायालय के रूप में कार्य करना।
- चुनाव व्यवस्था से संबंधित विवादों की जाँच के लिए अधिकारियों को नियुक्त करना।
- सहायक मशीनरी (सहायक तंत्र):- भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) की चुनावी प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए विभिन्न भूमिकाओं और जिम्मेदारियों वाले सुव्यवस्थित तंत्र की आवश्यकता होती है
- उप निर्वाचन आयुक्त (DEC):- ये आयुक्त सिविल सेवाओं से लिए जाते हैं और निर्वाचन आयोग द्वारा कार्यकाल प्रणाली के साथ नियुक्त किये जाते हैं। उन्हें सचिवों, संयुक्त सचिवों, उप सचिवों और अवर सचिवों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
- मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO):- इन अधिकारियों को राज्य स्तर पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा राज्य सरकार के परामर्श से नियुक्त किया जाता है।
- जिला निर्वाचन अधिकारी (DRO):- इन अधिकारियों को जिला स्तर पर नियुक्त किया जाता है। कलेक्टर जिले के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए डीआरओ के रूप में कार्य करता है।
- निर्वाचन अधिकारी (RO):- इन अधिकारियों को डीआरओ द्वारा प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए नियुक्त किया जाता है।
- पीठासीन अधिकारी (PO):- इन अधिकारियों को डीआरओ द्वारा प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए नियुक्त किया जाता है।
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