NCSC की रिपोर्ट:-
- आयोग के द्वारा राष्ट्रपति को वार्षिक या ऐसे अन्य समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है जैसा वह उचित समझे।
- आयोग की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई के बारे में बताने वाले एक ज्ञापन के साथ सभी रिपोर्टों को राष्ट्रपति द्वारा संसद के समक्ष रखी जाती हैं।
- ज्ञापन में ऐसी किसी भी सिफारिश को स्वीकार न करने के कारणों का भी उल्लेख होता है।
- राष्ट्रपति किसी राज्य सरकार से संबंधित आयोग की रिपोर्ट को संबंधित राज्यपाल को भी प्रेषित करते है।
- राज्यपाल इसे राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करते है, साथ ही आयोग की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई की व्याख्या करते हुए एक ज्ञापन भी दिया जाता है।
- ज्ञापन में ऐसी किसी भी सिफारिश को स्वीकार न करने के कारणों का भी उल्लेख होता है।
निष्कर्ष: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) वास्तव में भारत के समावेशी समाज के निरंतर प्रयास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- अधिकारों की प्रभावी सुरक्षा, विकास पहलों को बढ़ावा देने और नीतिगत बदलावों की वकालत करके आयोग के द्वारा अनुसूचित जातियों को सशक्त बनाया जाता है तथा अनुसूचित जातियों के बेहतर न्यायसंगत भविष्य का निर्माण कर सकता है।
- जैसे-जैसे भारत समावेशी विकास और सामाजिक न्याय की ओर अग्रसर होता है, वैसे-वैसे NCSC एक महत्त्वपूर्ण संस्था बनकर उभर रहीं है।
अनुसूचित जाति के उत्थान के लिये अन्य संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?
- अनुच्छेद 15: यह अनुच्छेद विशेष रूप से जाति के आधार पर भेदभाव के मुद्दे को संबोधित करता है, अनुसूचित जातियों (SC) के संरक्षण और उत्थान पर बल देता है।
- अनुच्छेद 17: यह अनुच्छेद अस्पृश्यता को समाप्त करता है और किसी भी रूप में इसके अभ्यास पर रोक लगाता है। यह सामाजिक भेदभाव को खत्म करने तथा सभी व्यक्तियों की समानता एवं सम्मान को बढ़ावा देता है।
- अनुच्छेद 46: यह अनुच्छेद राज्य को अनुसूचित जातियों और समाज के अन्य कमज़ोर वर्गों के शैक्षिक एवं आर्थिक हितों को बढ़ावा देने तथा उन्हें सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषण से बचाने का निर्देश देता है।
- अनुच्छेद 243D(4): यह प्रावधान क्षेत्र में उनकी आबादी के अनुपात में पंचायतों (स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों) में अनुसूचित जाति के लिये सीटों के आरक्षण को अनिवार्य करता है।
- अनुच्छेद 243T(4): यह प्रावधान क्षेत्र में उनकी आबादी के अनुपात में नगर पालिकाओं (शहरी स्थानीय निकायों) में अनुसूचित जाति के लिये सीटों का आरक्षण सुनिश्चित करता है।
- अनुच्छेद 330 और अनुच्छेद 332 में लोकसभा तथा राज्यों की विधानसभाओं (क्रमशः) में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के पक्ष में सीटों के आरक्षण का प्रावधान है।
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