संसदीय शासन प्रणाली के निम्नलिखित गुण हैं:
- विधायिका और कार्यपालिका के बीच सामंजस्य
- संसदीय प्रणाली सरकार के विधायी और कार्यकारी अंगों के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध और सहयोग सुनिश्चित करती है।
- कार्यपालिका विधायिका का ही एक अंग है और दोनों ही काम में एक दूसरे पर निर्भर हैं। नतीजतन, दोनों अंगों के बीच विवाद और टकराव की गुंजाइश कम होती है।
2. उत्तरदायी सरकार
- मंत्रीगण अपने सभी भूल-चूक कार्यों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
- संसद प्रश्नकाल, स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव आदि जैसे विभिन्न तरीकों से मंत्रियों पर नियंत्रण रखती है।
- संसदीय प्रणाली के लिए ‘उत्तरदायी सरकार’ एक अन्य शब्द है।
- विधायिका के अन्य सभी सदस्य सार्वजनिक चिंता और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर बात करते हैं।
- इस दृष्टिकोण का उपयोग सरकार के कार्यों पर नज़र रखने के लिए किया जा सकता है।
- जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विपक्ष को इतना शक्तिशाली होना चाहिए कि वह मौजूदा सरकार की त्रुटियों और अकुशलताओं को उजागर कर सके।
3. निरंकुशता को रोकता है
- इस प्रणाली के तहत कार्यकारी शक्ति एक व्यक्ति के पास न होकर व्यक्तियों के समूह (मंत्रिपरिषद) में निहित होती है।
- सत्ता का यह फैलाव कार्यकारी की तानाशाही प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाता है।
- इसके अतिरिक्त, प्रशासन संसद के प्रति उत्तरदायी होता है और अविश्वास मतों के अधीन होता है।
4. वैकल्पिक सरकार की व्यवस्था
- अगर सत्तारूढ़ पार्टी अपना बहुमत खो देती है, तो राज्य प्रमुख विपक्षी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। इसका मतलब है कि नए चुनावों के बिना वैकल्पिक सरकार बनाई जा सकती है
5. व्यापक प्रतिनिधित्व
- संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका व्यक्तियों के एक समूह (अर्थात मंत्री जो जनता के प्रतिनिधि होते हैं) से मिलकर बनी होती है। इसलिए, सरकार में सभी वर्गों और क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व प्रदान करना संभव है।
- प्रधानमंत्री मंत्रियों का चयन करते समय इसे ध्यान में रख सकते हैं।
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