भारतीय संविधान निर्माण की मुख्य विधियाँ निम्नलिखित हैं:
- संविधान समिति का गठन: सबसे पहले, भारतीय संविधान निर्माण के लिए संविधान समिति का गठन किया गया था। इस समिति में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों को शामिल किया गया था।
- मसौदे का तैयारी (Preparation of draft): संविधान समिति ने भारतीय संविधान के मसौदे का तैयारी की। इसमें भारतीय संविधान के प्रमुख धाराओं, अधिकारों और कर्तव्यों का निर्धारण शामिल था।यहां संविधान समिति द्वारा मसौदे के तैयारी के कुछ मुख्य पहलुओं का वर्णन है:
- संविधान के उद्देश्यों का निर्धारण: संविधान समिति ने संविधान के मूल उद्देश्यों को स्पष्ट करने का काम किया। ये उद्देश्य समाज के समृद्धि, समानता, न्याय, और समानता की रक्षा को सुनिश्चित करने के लिए होते हैं।
- नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों का विवरण: संविधान समिति ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों की सूची को तैयार किया। इसमें व्यक्ति के अधिकार और सरकारी अधिकारों के संतुलन को ध्यान में रखा गया था।
- राजनीतिक व्यवस्था की व्यवस्था: संविधान समिति ने भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के मूल सिद्धांतों, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और संसद की संरचना को संविधान में स्पष्ट किया।
- राज्य संबंधों का विवरण: संविधान समिति ने भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच संबंधों की समीक्षा की और इसे स्पष्ट और सुव्यवस्थित बनाया।
- धार्मिक स्वतंत्रता और संरक्षण: धार्मिक स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने और सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान देने के लिए अनुमतियों का निर्धारण किया गया।
- मसौदे का प्रस्तुतीकरण (Presentation of draft): तैयार किए गए संविधान के मसौदे को संविधान समिति द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसमें समिति के सदस्यों के द्वारा किए गए सुझावों और संविधान के प्रावधानों के विवादित मुद्दों पर चर्चा भी शामिल थी।
- प्रस्तुतीकरण का महत्व (Importance of Presentation): मसौदे का प्रस्तुतीकरण संविधान निर्माण प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
- इसने संविधान सभा के सदस्यों को मसौदे का विस्तृत अध्ययन करने और उस पर चर्चा करने का अवसर प्रदान किया।
- प्रस्तुतीकरण के बाद, संविधान सभा में मसौदे पर कई महीनों तक विचार-विमर्श और बहस हुई।
- सदस्यों ने कई संशोधन प्रस्तावित किए, जिनमें से कुछ को स्वीकार कर लिया गया।
4. संविधान सभा का गठन: संविधान समिति द्वारा प्रस्तुत किए गए संविधान के मसौदे को संविधान सभा के सदस्यों को प्रस्तुत किया गया। इस सभा में भारतीय संविधान को अंतिम रूप दिया गया।
- भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुआ था। यह एक निर्वाचित निकाय था जिसे भारत के लिए एक संविधान का मसौदा तैयार करने और अपनाने का काम सौंपा गया था।
- संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव: संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा किया गया था। प्रत्येक प्रांत को उसकी आबादी के अनुपात में सदस्य मिलने थे।
- संविधान सभा के अध्यक्ष: डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया था।
- संविधान सभा की बैठकें: संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिनों की अवधि में 11 सत्रों में बैठकें कीं। इन बैठकों में, सदस्यों ने विभिन्न विषयों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया और संविधान के मसौदे पर बहस की।
5. संविधान की स्वीकृति: भारतीय संविधान की स्वीकृति 26 नवंबर 1949 को हुई थी। इस दिन, संविधान सभा ने भारतीय संविधान को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया। इस घटना ने भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण पल को चिह्नित किया, जिसने देश को एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में स्थापित किया। इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
6. तुलनात्मक अध्ययन: संविधान सभा के सदस्यों ने विभिन्न देशों के संविधानों का गहन अध्ययन किया, जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, और आयरलैंड। उन्होंने इन संविधानों की विभिन्न विशेषताओं का विश्लेषण किया और उनसे प्रेरणा ली। विभिन्न देशों के संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अध्ययन ने संविधान सभा के सदस्यों को विभिन्न विचारधाराओं और दृष्टिकोणों को समझने और एक ऐसा संविधान तैयार करने में मदद की जो भारतीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त था ।
7.विचार-विमर्श और बहस:संविधान सभा में विभिन्न विषयों पर विस्तृत विचार-विमर्श और बहस हुई। सदस्यों ने विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों को व्यक्त किया और एक सर्वसम्मति से स्वीकार्य संविधान तैयार करने का प्रयास किया।
8. विशेषज्ञों की सलाह:संविधान सभा ने कानून, राजनीति, इतिहास, और समाजशास्त्र जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों से सलाह ली। इन विशेषज्ञों ने संविधान के विभिन्न पहलुओं पर अपनी राय और सुझाव दिए।
9. सार्वजनिक राय:संविधान सभा ने विभिन्न तरीकों से जनता की राय भी प्राप्त की। मसौदा समिति ने देश भर में यात्राएं कीं और लोगों से सुझाव प्राप्त किए। समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, और सार्वजनिक बैठकों में भी लोगों ने अपनी राय व्यक्त की।
10. ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन:संविधान सभा के सदस्यों ने भारत के ऐतिहासिक दस्तावेजों का भी अध्ययन किया, जैसे कि मौर्य साम्राज्य के कानून, मुगलकालीन फरमान, और ब्रिटिश काल के विधान। इन दस्तावेजों ने उन्हें भारतीय समाज और राजनीतिक व्यवस्था की बेहतर समझ प्रदान की।
इन विधियों के अलावा, संविधान निर्माण की प्रक्रिया में निम्नलिखित तत्वों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई:
- सहमति: संविधान सभा के सदस्यों ने विभिन्न समुदायों और राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने एक ऐसे संविधान का निर्माण करने का प्रयास किया जो सभी के लिए स्वीकार्य हो।
- लोकतंत्र: संविधान निर्माण की प्रक्रिया लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित थी। सदस्यों को अपनी राय व्यक्त करने और बहस में भाग लेने की स्वतंत्रता थी।
- न्याय: संविधान सभा ने एक ऐसे संविधान का निर्माण करने का प्रयास किया जो सभी नागरिकों के लिए न्याय, समानता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करे।
Leave a Reply