भारत के संविधान में निहित मौलिक अधिकारों की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं –
1. मौलिकता:
- ये अधिकार संविधान में निहित हैं और इन्हें आसानी से संसद द्वारा साधारण कानून द्वारा संशोधित नहीं किया जा सकता है।
- इन्हें संशोधित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता होती है।
2. न्यायसंगत:
- ये अधिकार न्यायसंगत हैं, जिसका अर्थ है कि इनका उल्लंघन होने पर नागरिक न्यायालयों में जा सकते हैं।
- उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अधिकार क्षेत्र रखते हैं।
3. व्यापक:
- ये अधिकार व्यापक हैं और नागरिकों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करते हैं, जिसमें समानता, स्वतंत्रता, शोषण से मुक्ति, धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल हैं।
4. अपरिहार्य:
- ये अधिकार अपरिहार्य हैं, जिसका अर्थ है कि इन्हें किसी भी परिस्थिति में निलंबित या रद्द नहीं किया जा सकता है।
- हालांकि, कुछ आपातकालीन परिस्थितियों में कुछ अधिकारों को कुछ हद तक प्रतिबंधित किया जा सकता है।
5. गारंटीकृत:
- ये अधिकार राज्य द्वारा गारंटीकृत हैं, जिसका अर्थ है कि यह राज्य का कर्तव्य है कि वह इन अधिकारों की रक्षा करे और इनका उल्लंघन न होने दे।
6. गतिशील:
- ये अधिकार गतिशील हैं और समय के साथ विकसित होते रहते हैं।
- न्यायालयों ने इन अधिकारों की व्याख्या करते हुए उनकी व्यापकता और प्रभाव का विस्तार किया है।
मौलिक अधिकारों का महत्व:-
मौलिक अधिकारों का महत्व निम्नलिखित है:
1. व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा:
- मौलिक अधिकार नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता, शोषण से मुक्ति, धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार प्रदान करते हैं।
- ये अधिकार व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2. अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा:
- मौलिक अधिकार सभी नागरिकों, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग या जन्मस्थान कुछ भी हो, को समान अधिकार प्रदान करते हैं।
- वे अल्पसंख्यकों के अधिकारों की विशेष रूप से रक्षा करते हैं और उन्हें भेदभाव से बचाते हैं।
3. समानता और न्याय को बढ़ावा देना:
- मौलिक अधिकार समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देते हैं।
- वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समान व्यवहार किया जाए और उन्हें समान अवसर प्राप्त हों।
4. मनमानी शक्ति से सरकार की रक्षा:
- मौलिक अधिकार नागरिकों को मनमानी शक्ति से सरकार की रक्षा करते हैं।
- वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकार कानून के शासन के अनुसार कार्य करे और नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन न करे।
5. नागरिकों को सशक्त बनाना:
- मौलिक अधिकार नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में भाग लेने के लिए सशक्त बनाते हैं।
- वे उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जागरूक बनाते हैं और उन्हें उनका दावा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
6. लोकतंत्र को मजबूत बनाना:
- मौलिक अधिकार भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाते हैं।
- वे नागरिकों को एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक स्वतंत्रता और अधिकार प्रदान करते हैं।
मौलिक अधिकार भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
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