- राष्ट्रपति की स्वीकृति से (सभी राज्यों में अनिवार्य नहीं) राज्यपाल या उपराज्यपाल (दिल्ली के मामले में) लोकायुक्त और उपलोकायुक्त की नियुक्ति करते हैं।
- कुछ राज्यों में, संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और विधानसभा में विपक्ष के नेता की सहमति लेना अनिवार्य है।
- बिहार और उत्तराखंड जैसे राज्यों में, एक चयन समिति बनाई जाती है और उसके सुझावों के आधार पर लोकायुक्त की नियुक्ति की जाती है।
लोकायुक्त में निम्न शामिल होते हैं:-
- मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे;
- मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त एक मंत्री;
- राज्य विधान सभा में विपक्षी नेता या राज्य विधान सभा में विपक्षी सदस्यों द्वारा इस निमित्त नामित व्यक्ति, भले ही अध्यक्ष सदस्य को निर्देश दें;
- संचारी लोकायुक्त;
- उच्च न्यायालय के दो कार्यरत न्यायाधीश, जिन्हें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित किया जाएगा;
- राज्य के एक प्रतिष्ठित नागरिक को मुख्यमंत्री द्वारा विपक्षी नेता और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद नामित किया जाएगा। चयन समिति लोकायुक्त के अध्यक्ष और सदस्यों के चयन के लिए अपनी प्रक्रिया को समायोजित कर सकती है जो स्पष्ट होनी चाहिए।
नियुक्ति:-
- लोकायुक्त व उपलोकायुक्तों की नियुक्ति संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।
- इनकी नियुक्ति के समय राज्यपाल द्वारा,
- राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से, और
- राज्य विधानसभा में विषक्ष के नेता से परामर्श अनिवार्य है
योग्यता:-
- उत्तर प्रदेश, हिमाचल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओडीशा, कर्नाटक और असम में लोकायुक्त के लिए न्यायिक योग्यता निर्धारित की गई है परंतु बिहार, महाराष्ट्र और राजस्थान में कोई विशिष्ट योग्यता निर्धारित नहीं है।
कार्यकाल:- अधिकांश राज्यों में लोकायुक्तों का कार्यकाल पांच वर्ष अथवा 65 वर्ष की उम्र तक, जो भी पहले हो, निर्धारित है। वह पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होता है।
शक्तियां:-
- लोकायुक्त भ्रष्टाचार को सामने लाने में व्यक्तियों की सहायता करता है, खास तौर पर राजनेताओं और सरकारी सेवा में अधिकारियों के बीच।
- लोकायुक्त छापे मारता है, लेकिन उसके पास किसी को दंडित करने के लिए कोई बाध्यकारी शक्ति नहीं होती है, बल्कि वह केवल प्रशासन को दंड का सुझाव देता है।
- लोकायुक्त द्वारा सरकार को दी गई सिफारिशें रैंक में कमी, अनिवार्य सेवानिवृत्ति, पद से हटाना, वार्षिक वेतन वृद्धि रोकना और निंदा करना हैं।
- यह राज्य पर निर्भर करता है कि वह सुझावों को स्वीकार करे या उन्हें संशोधित करे।
- लोक सेवक राज्य उच्च न्यायालयों या विशेष न्यायाधिकरणों में निर्णय को चुनौती दे सकता है।
- हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में मुख्यमंत्री लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र में शामिल हैं, जबकि उड़ीसा, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उन्हें लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र से छूट प्राप्त है।
- लगभग सभी राज्यों में मंत्री और उच्च लोक सेवक भी लोकायुक्त के दायरे में आते हैं।
- इसके पास राज्य स्तर पर भ्रष्ट अधिकारियों के घरों और कार्यालयों पर छापे मारने का अधिकार है।
- यह राज्य सरकार के विभागों से प्रासंगिक फाइलें और दस्तावेज मंगा सकता है।
- इसके अलावा, इसके पास उन सरकारी संगठनों का निरीक्षण करने और वहां जाने की शक्ति भी है, जिनकी जांच की जा रही है।
- लोकायुक्त किसी लोक सेवक द्वारा की गई किसी कार्रवाई की जांच कर सकता है, यदि उसे राज्य सरकार द्वारा संदर्भित किया जाता है।
- इसके पास प्रशासन को अपराधी के विरुद्ध दंड का सुझाव देने का अधिकार है, लेकिन यह राज्य पर निर्भर है कि वह सुझावों को स्वीकार करे या उनमें संशोधन करे।
कार्य:-
लोकायुक्त के कार्य निम्नलिखित हैं :
- लोकायुक्त का कार्य राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध जन शिकायतों का शीघ्र निवारण करना तथा कुप्रशासन के कारण नागरिकों की “शिकायतों” की जाँच करना है।
- यह राज्य स्तर पर सार्वजनिक पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार, सत्ता के दुरुपयोग, कुप्रशासन या निष्ठा की कमी के आरोपों की जांच करता है, तथा साबित होने पर कार्रवाई की सिफारिश करता है।
- लोकायुक्त और उपलोकायुक्त द्वारा अपने कार्यों के बारे में एक समेकित रिपोर्ट राज्य के राज्यपाल को प्रस्तुत की जाएगी। इसलिए, वे राज्य विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी हैं।
- इसका एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों और प्राधिकारियों की जांच पर नजर रखना है।
- यह विशेष जांच अधिकारी की सहायता से आरोपी व्यक्ति के विरुद्ध तथ्यों के आधार पर निष्पक्ष जांच करता है।
अन्य विशेषतायें:-
- लोकायुक्त, संबंधित राज्य के राज्यपाल को अपने कार्य निष्पादन का एक समेकित वार्षिक विवरण देते हैं ।
- राज्यपाल इस विवरण को एक व्याख्यात्मक ज्ञापन पक्ष के साथ सदन में प्रस्तुत करता है ।
- लोकायुक्त राज्य विधायिका के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
- लोकायुक्त जांच के लिए राज्य की जांच एजेंसियों को सहायता लेते हैं ।
- वह राज्य सरकार के विभागों से, संबंधित मामलों की फाइलों व दस्तावेजों को माँग सकता है |
- लोकायुक्त की सिफारिशें केबल सलाहकारी होतीहैं। वे राज्य सरकार लिए बाध्यकारी नहीं है ।
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