केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) से जुड़े मुद्दे:-
केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के कामकाज में आने वाली विभिन्न समस्याएँ निम्नलिखित हैं:
- चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव: आयुक्तों के चयन और उनकी कार्यप्रणालियों के मानदंडों में पारदर्शिता की कमी होती है, जिससे आयोग की निष्पक्षता और प्रभावशीलता को लेकर चिंताएं पैदा होती हैं। नियुक्तियों में पूर्व नौकरशाहों का वर्चस्व उनकी विविधता और योग्यता पर सवाल उठाता है।
- रिक्त पदों का मुद्दा: रिक्त पदों को भरने में देरी से मामलों की संख्या बढ़ती जाती है, जिससे आयोगों की दक्षता प्रभावित होती है और अपीलों एवं शिकायतों के निराकरण में देरी होती है।
- क्षमता निर्माण का अभाव: केंद्रीय जन सूचना पदाधिकारी (CPIO) के रूप में नियुक्त कर्मियों में प्राय: आरटीआई अधिनियम की पर्याप्त जानकारी का अभाव होता है।
- खराब रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली: अपर्याप्त अभिलेख प्रबंधन प्रणालियों और प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप आरटीआई आवेदनों को संसाधित करने में देरी होती है, जिससे सूचना तक समय पर पहुंच बाधित होती है।
- अपीलों और शिकायतों के निपटारे में देरी: आरटीआई अधिनियम पहली अपील का निपटारा करने के लिए समय सीमा अनिवार्य करता है, जबकि दूसरी अपीलों के निपटारे के लिए कोई विशिष्ट समय सीमा नहीं है, जिससे देरी होती है और आयोगों के भीतर मामलों की संख्या बढ़ती जाती है।
- प्रदान की गई जानकारी की खराब गुणवत्ता: सीपीआईओ प्राय: आवेदकों को अपर्याप्त या खराब गुणवत्ता वाली जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे सूचना प्राप्त करने वालों में असंतोष पैदा होता है। यह पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य को विफल करता है।
- लोक जागरूकता का अभाव: आरटीआई अधिनियम के बारे में जागरूकता की कमी है,विशेष रुप से वंचित समुदायों और निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों के लोगों में। यह सीआईसी की नागरिकों को सशक्त बनाने और सुशासन को बढ़ावा देने की क्षमता को सीमित करता है।
- अपीलों और शिकायतों के निपटारे में देरी: आरटीआई अधिनियम पहली अपील का निपटारा करने के लिए समय सीमा अनिवार्य करता है, जबकि दूसरी अपीलों के निपटारे के लिए कोई विशिष्ट समय सीमा नहीं है, जिससे देरी होती है और आयोगों के भीतर मामलों की संख्या बढ़ती जाती है।
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