- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 ने भारत में आपदा प्रबंधन हेतु कानूनी और संस्थागत संरचना का प्रावधान राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर किया है।
- भारत की संघीय राजनीति में आपदा प्रबंधन का प्राथमिक उत्तरदायित्व राज्य सरकारों में निहित है।
- हालाँकि, आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति केंद्र, राज्य और जिले के लिये सभी के लिये एक सक्षम वातावरण बनाती है
- आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2009 को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अनुरूप और उसके अनुसरण में तैयार किया गया है। यह समग्र रूप से आपदाओं से निपटने हेतु रूपरेखा/रोडमैप प्रदान करती है।
- अधिनियम के प्रावधानों के तहत आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना 3 स्तरों पर की गई है। राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में की गई है और NDMA को उसके कार्यों के प्रदर्शन में सहायता करने के लिये सचिवों की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (NEC) बनाई गई है।
- राज्य स्तर पर, राज्य के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बनाया गया है, जिसे एक राज्य कार्यकारी समिति द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
- ज़िला स्तर पर ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बनाए गए हैं।
- यह आपदा प्रबंधन के लिये नीतियों, योजनाओं और दिशा-निर्देशों का निर्धारण करता है ताकि आपदा तथा दीर्घकालिक आपदा जोखिम में कमी के लिये समय पर और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
- भारत आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये सेंडाई फ्रेमवर्क (SFDRR) का भी एक हस्ताक्षरकर्त्ता है जो आपदा प्रबंधन लक्ष्यों का निर्धारण करता है।
केंद्र सरकार योजनाएँ, नीतियां और दिशा-निर्देश तैयार करती है और तकनीकी, वित्तीय और संभरण सहायता देती है जबकि जिला प्रशासन केंद्रीय और राज्य स्तर की एजेंसियों के साथ मिलकर अधिकांश कार्यों को सम्पन्न करता है।
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