संविधान ने उच्च न्यायालयों के स्वतंत्र और निष्पक्ष कामकाज को सुरक्षित रखने तथा सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए हैं:
- नियुक्ति का तरीका – उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा न्यायपालिका के सदस्यों के परामर्श से की जाती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि न्यायिक नियुक्तियाँ किसी राजनीतिक या व्यावहारिक विचार पर आधारित नहीं हैं।
- कार्यकाल की सुरक्षा – उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को कार्यकाल की सुरक्षा दी गई है। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा संविधान में वर्णित तरीके और आधार पर ही हटाया जा सकता है।
- निश्चित सेवा शर्तें – उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवा शर्तों को उनकी नियुक्ति के बाद, वित्तीय आपातकाल को छोड़कर, उनके लिए अहितकर नहीं बदला जा सकता।
- संचित निधि पर भारित व्यय – उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते राज्य की संचित निधि पर भारित होते हैं और राज्य विधानमंडल द्वारा उन पर मतदान नहीं किया जा सकता।
- नोट : उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की पेंशन भारत की संचित निधि पर डाली जाती है, राज्य की संचित निधि पर नहीं।
- संसदीय हस्तक्षेप पर प्रतिबंध – अपने कर्तव्यों के निर्वहन में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के आचरण पर संसद या राज्य विधानमंडल में चर्चा नहीं की जा सकती, सिवाय तब जब संसद द्वारा महाभियोग प्रस्ताव विचाराधीन हो।
- सेवानिवृत्ति के बाद प्रैक्टिस पर प्रतिबंध – उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय और अन्य उच्च न्यायालयों को छोड़कर भारत के क्षेत्र में किसी भी अदालत में या किसी भी प्राधिकारी के समक्ष दलील देने या कार्य करने पर प्रतिबंध है।
- इससे यह सुनिश्चित होता है कि वे भविष्य में किसी से पक्षपात की आशा में पक्षपात न करें।
- अवमानना के लिए दण्ड देने की शक्ति – उच्च न्यायालय अपनी अवमानना के लिए किसी भी व्यक्ति को दण्ड दे सकता है। इस प्रकार, इसके कार्यों और निर्णयों की किसी के द्वारा आलोचना या विरोध नहीं किया जा सकता।
- अपने कर्मचारियों की नियुक्ति की स्वतंत्रता – किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश कार्यपालिका के किसी हस्तक्षेप के बिना, उच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकता है तथा उनकी सेवा शर्तें निर्धारित कर सकता है।
- अधिकार क्षेत्र का संरक्षण – संसद और राज्य विधानमंडल को उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र और शक्तियों को कम करने का अधिकार नहीं है।
- हालाँकि, संसद इसे आगे बढ़ा सकती है ।
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