भारतीय वित्त आयोग के कार्य:-
वित्त आयोग निम्नलिखित मुद्दों पर भारत के राष्ट्रपति को सिफारिशें करता है:
- शुद्ध कर आय का वितरण केन्द्र और राज्यों के बीच विभाजित किया जाएगा तथा राज्यों के बीच उसका आवंटन किया जाएगा।
- भारत की समेकित निधि में से केंद्र द्वारा राज्यों को दिए जाने वाले अनुदान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत।
- राज्य वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य की पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों को बढ़ावा देने के लिए राज्य की समेकित निधि का विस्तार करने के लिए आवश्यक कदम।
- सुदृढ़ वित्तीय स्थिति के हित में राष्ट्रपति द्वारा संदर्भित कोई अन्य मामला।
- आयोग प्रत्येक पांच वर्ष में केन्द्र और राज्यों के बीच विभाज्य करों के बंटवारे का आधार तथा राज्यों को दी जाने वाली अनुदान सहायता के सिद्धांतों का निर्धारण करता है।
- सुदृढ़ वित्त के हित में कोई भी मामला राष्ट्रपति द्वारा आयोग को भेजा जा सकता है।
- आयोग की सिफारिशें तथा उन पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में स्पष्टीकरण ज्ञापन संसद के सदनों के समक्ष रखे जाते हैं।
- वित्त आयोग राज्य की पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों को जोड़ने के लिए राज्य की समेकित निधि में वृद्धि का मूल्यांकन करता है।
- वित्तीय आयोग के पास अपने कार्यकलाप क्षेत्र के अंतर्गत अपने कार्य करने के लिए पर्याप्त शक्तियां हैं।
- सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अनुसार, FC के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ हैं। यह गवाहों को बुला सकता है, किसी भी कार्यालय या न्यायालय से सार्वजनिक दस्तावेज़ या रिकॉर्ड पेश करने के लिए कह सकता है।
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