NCST के कार्य:-
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
- अनुसूचित जनजातियों के लिए संवैधानिक और अन्य कानूनी सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जाँच एवं निगरानी करना तथा उनके कार्यान्वयन का मूल्यांकन करना।
- अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों और सुरक्षा उपायों से वंचित किये जाने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों की जाँच करना।
- अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना और सलाह देना तथा केंद्र या राज्य के तहत उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना।
- राष्ट्रपति को वार्षिक और ऐसे अन्य समय पर जैसा कि राष्ट्रपत उचित समझे, उन सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना।
- केंद्र या राज्य द्वारा उन सुरक्षा उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन और अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण, कल्याण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अन्य उपायों के लिए किये जाने वाले उपायों के संबंध में सिफारिशें करना।
- राष्ट्रपति द्वारा निर्दिष्ट किये जाने वाले अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण, कल्याण, विकास और उन्नति से संबंधित ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करना।
NCST के अन्य कार्य:-
2005 में, राष्ट्रपति ने अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण, कल्याण, विकास एवं उन्नति के संबंध में आयोग के निम्नलिखित अन्य कार्यों को निर्दिष्ट किया:
- वन क्षेत्रों में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों को लघु वन उपज के संबंध में स्वामित्व अधिकार प्रदान करने के लिए किये जाने वाले उपाय।
- कानून के अनुसार आदिवासी समुदायों के खनिज संसाधनों, जल संसाधनों आदि पर अधिकारों की रक्षा के लिए किये जाने वाले उपाय।
- आदिवासियों के विकास के लिए और अधिक व्यवहार्य आजीविका रणनीतियों के लिए कार्य करने के लिए सुझाव।
- विकास परियोजनाओं द्वारा विस्थापित जनजातीय समूहों के लिए राहत और पुनर्वास उपायों की प्रभावशीलता में सुधार के लिए किये जाने वाले उपाय।
- जनजातीय लोगों के भूमि से अलगाव को रोकने तथा ऐसे लोगों के प्रभावी पुनर्वास के लिए उपाय किये जाने चाहिए जिनके मामले में अलगाव पहले ही हो चुका है।
- वन संरक्षण एवं सामाजिक वनीकरण को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी समुदायों का अधिकतम सहयोग और भागीदारी प्राप्त करने के लिए किये जाने वाले उपाय।
- पंचायत प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 का पूर्ण कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए उपाय।
- आदिवासियों द्वारा स्थानांतरित खेती की प्रथा को कम करने और अंततः समाप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना, क्योंकि इससे ना केवल भूमि की उर्वरता कम होती है,बल्कि पर्यावरण का क्षरण भी होता है।
NCST की शक्तियाँ:-
- आयोग को अपनी प्रक्रिया को विनियमित करने की शक्ति प्राप्त है।
- किसी मामले या किसी शिकायत की जांच करते समय आयोग के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ होती हैं, अर्थात्
- भारत के किसी भी भाग से किसी भी व्यक्ति को उपस्थित होने के लिए समन जारी करना तथा शपथ पर उससे पूछताछ करना,
- जांच से संबंधित किसी भी दस्तावेज के लिए संबंधित अधिकारी को आदेश देना,
- शपथ पत्रों पर साक्ष्य प्राप्त करना,
- किसी भी न्यायालय या कार्यालय से किसी भी सार्वजनिक रिकॉर्ड की माँग करना,
- गवाहों और दस्तावेजों की जाँच के लिए समन जारी करना,
- कोई अन्य मामला जो राष्ट्रपति निर्धारित करते है।
- केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को अनुसूचित जनजातियों को प्रभावित करने वाले सभी प्रमुख नीतिगत मामलों पर आयोग से परामर्श करने की आवश्यकता है।
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