मौलिक कर्तव्यों की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. नैतिक दायित्व:
- मौलिक कर्तव्य कानूनी दायित्व नहीं हैं, बल्कि नैतिक दायित्व हैं।
- इसका मतलब है कि इनका उल्लंघन करने पर नागरिकों को दंडित नहीं किया जा सकता है।
- हालांकि, यह नागरिकों का नैतिक कर्तव्य है कि वे इनका पालन करें और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
2. संवैधानिक दर्जा:
- मौलिक कर्तव्यों को संविधान में शामिल किया गया है, जो उन्हें महत्व और विशिष्टता प्रदान करता है।
- यह दर्शाता है कि राज्य इन कर्तव्यों को महत्वपूर्ण मानता है और इनकी प्राप्ति के लिए प्रयास करेगा।
3. नागरिकों की जिम्मेदारी:
- मौलिक कर्तव्य नागरिकों को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
- यह समाज के विकास और प्रगति में नागरिकों की भागीदारी को बढ़ावा देता है।
4. राष्ट्रीय एकता और अखंडता:
- मौलिक कर्तव्य राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देते हैं।
- यह नागरिकों को धर्म, जाति, भाषा या अन्य किसी भी आधार पर भेदभाव किए बिना सभी के साथ सम्मान और सद्भाव से व्यवहार करने का आह्वान करता है।
5. प्रगतिशील समाज:
- मौलिक कर्तव्य एक प्रगतिशील और न्यायसंगत समाज की स्थापना में योगदान करते हैं।
- यह नागरिकों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और सुधार की भावना को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
6. राज्य का कर्तव्य:
- मौलिक कर्तव्यों को निर्धारित करने के अलावा, राज्य का यह भी कर्तव्य है कि वह नागरिकों को इन कर्तव्यों को पूरा करने में सहायता करे।
- इसमें शिक्षा, जागरूकता और प्रशिक्षण के माध्यम से नागरिकों को मौलिक कर्तव्यों के बारे में सूचित करना और उन्हें इनका पालन करने के लिए प्रेरित करना शामिल है।
- मौलिक कर्तव्यों के अंतर्गत नैतिक और नागरिक दोनों प्रकार के कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं, जैसे, “भारतीय नागरिकों को न केवल स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित करने वाले महान विचारों को संजोना चाहिए, बल्कि उन्हें संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का भी सम्मान करना चाहिए”
- मौलिक अधिकार विदेशियों पर भी लागू हो सकते हैं लेकिन मौलिक कर्तव्य केवल भारतीय नागरिकों तक ही सीमित हैं।
- मौलिक कर्तव्य प्रकृति में प्रवर्तनीय(Enforceable) नहीं हैं। इनके उल्लंघन के मामले में सरकार द्वारा कोई कानूनी दंड नहीं लगाया जा सकता।
- ये कर्तव्य हिंदू परंपराओं या पौराणिक कथाओं से भी जुड़े हुए हैं, जैसे देश के प्रति सम्मान प्रकट करना या भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना।
7.पर्यावरण की रक्षा करना:- मौलिक कर्तव्य नागरिकों को पर्यावरण की रक्षा करने और प्रदूषण को रोकने के लिए प्रेरित करते हैं।
8. आतंकवाद और हिंसा का मुकाबला करना:- मौलिक कर्तव्य नागरिकों को आतंकवाद और हिंसा के खिलाफ लड़ने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करते हैं।
9. भारतीय संस्कृति और विरासत की रक्षा करना:- मौलिक कर्तव्य नागरिकों को भारतीय संस्कृति और विरासत की रक्षा करने और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित करते हैं।
मौलिक कर्तव्य भारतीय नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह नागरिकों को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं। मौलिक कर्तव्य भारतीय नागरिकों को उनके समाज, साथी नागरिकों और राष्ट्र के प्रति उनके कर्तव्य की याद दिलाते हैं यह नागरिकों को राष्ट्र-विरोधी और असामाजिक गतिविधियों के प्रति आगाह करते हैं मौलिक कर्तव्य नागरिकों को प्रेरित करते हैं और उनमें अनुशासन और प्रतिबद्धता की भावना को बढ़ावा देते हैं यह न्यायालयों को किसी कानून की संवैधानिक वैधता की जांच करने और उसका निर्धारण करने में सहायता करते हैं
मौलिक कर्तव्यों का महत्व:-
- मौलिक कर्तव्य हमें निरंतर याद दिलाते हैं कि अपने मौलिक अधिकारों का आनंद लेते हुए नागरिकों को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए।
- ये कर्तव्य किसी भी प्रकार की असामाजिक गतिविधियों के खिलाफ लोगों के लिए चेतावनी संकेत के रूप में कार्य करते हैं।
- ये कर्तव्य लोगों को समाज में दर्शक बने रहने के बजाय सक्रिय भागीदारी करने का अवसर देते हैं।
- ये कर्तव्य समाज के प्रति अनुशासन और प्रतिबद्धता की भावना को बढ़ावा देते हैं।
- न्यायालय कानून की संवैधानिकता निर्धारित करने के लिए मौलिक कर्तव्यों का उपयोग कर सकते हैं। यदि किसी कानून को उसकी संवैधानिक वैधता के लिए न्यायालय में चुनौती दी जाती है और यदि वह कानून मौलिक कर्तव्यों में से किसी को बल प्रदान करता है तो वह कानून उचित माना जाएगा।
- यदि मौलिक अधिकारों को कानून द्वारा लागू किया जाता है तो उसके उल्लंघन की स्थिति में संसद उसके लिए जुर्माना या सजा लगा सकती है।
- मौलिक कर्तव्य देश के नागरिकों के लिये एक प्रकार से सचेतक का कार्य करते हैं। गौरतलब है कि नागरिकों को अपने देश और अन्य नागरिकों के प्रति उनके कर्तव्यों के बारे में ज्ञात होना चाहिये।
- ये असामाजिक गतिविधियों जैसे- झंडा जलाना, सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना या सार्वजनिक शांति को भंग करना आदि के विरुद्ध लोगों के लिये एक चेतावनी के रूप में कार्य करते हैं।
- गौरतलब है कि दुनिया भर के कई देशों ने ‘जिम्मेदार नागरिकता’ के सिद्धांतों को मूर्त रूप देकर स्वयं को विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बदलने का कार्य किया है।
- इस संबंध में संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे उत्कृष्ट उदाहरण माना जा सकता है। अमेरिका द्वारा अपने नागरिकों को ‘सिटिज़न्स अल्मनाक’ (Citizens’ Almanac) नाम से एक दस्तावेज़ जारी किया जाता है जिसमें सभी नागरिकों के कर्तव्यों का विवरण दिया होता है।
- इसका एक अन्य उदाहरण सिंगापुर भी है जिसके विकास की कहानी नागरिकों द्वारा कर्तव्यों के पालन से शुरू हुई थी। नतीजतन, सिंगापुर ने कम समय में ही स्वयं को एक अल्प विकसित राष्ट्र से विकसित राष्ट्र में बदल दिया।
- गौरतलब है कि दुनिया भर के कई देशों ने ‘जिम्मेदार नागरिकता’ के सिद्धांतों को मूर्त रूप देकर स्वयं को विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बदलने का कार्य किया है।
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