भारत और बांग्लादेश के बीच 2015 में हुआ ऐतिहासिक भूमि समझौता:
31 जुलाई 2015 को भारत और बांग्लादेश ने एक ऐतिहासिक भूमि समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत दोनों देशों ने एनक्लेव (enclaves) नामक भू-भागों का आदान-प्रदान किया।
इस समझौते की मुख्य विशेषताएं:
- 111 भारतीय एनक्लेव (कुल 17,160.63 एकड़ क्षेत्रफल) बांग्लादेश को हस्तांतरित किए गए।
- 51 बांग्लादेशी एनक्लेव (कुल 7,110.02 एकड़ क्षेत्रफल) भारत को हस्तांतरित किए गए।
- इस समझौते का उद्देश्य सीमा विवादों को हल करना और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करना था।
- यह समझौता 40 साल से अधिक समय से चली आ रही वार्ता का परिणाम था।
- इस समझौते को “लैंड स्वैप डील” या “एनक्लेव एक्सचेंज एग्रीमेंट” के नाम से भी जाना जाता है।
इस समझौते के लाभ:
- सीमा विवादों का समाधान: इस समझौते ने भारत और बांग्लादेश के बीच 40 साल से अधिक समय से चले आ रहे सीमा विवादों को हल कर दिया।
- सुरक्षा में सुधार: इस समझौते ने दोनों देशों के लिए अपनी सीमाओं की सुरक्षा में सुधार किया है।
- आर्थिक विकास: इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- संबंधों में सुधार: इस समझौते ने भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को मजबूत और मैत्रीपूर्ण बनाया है।
इस समझौते से जुड़ी कुछ चुनौतियां:
- विस्थापन: कुछ लोगों को अपने घरों और जमीन से विस्थापित होना पड़ा।
- पुनर्वास: विस्थापित लोगों का पुनर्वास एक चुनौती रहा है।
- संपत्ति का अधिकार: कुछ लोगों ने अपनी संपत्ति के अधिकारों को लेकर चिंता जताई है।
- सामाजिक-आर्थिक असमानता: इस समझौते से कुछ क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक असमानता बढ़ सकती है।
कुल मिलाकर, भारत और बांग्लादेश के बीच 2015 का भूमि समझौता एक ऐतिहासिक घटना थी जिसने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने और कई लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को हल करने में मदद की।
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