- संविधान को दसवीं अनुसूची (जो दल-परिवर्तन विरोधी कानून से संबंधित है) की रूपरेखा राजनीतिक दल-परिवर्तन के दोषों तथा दुष्प्रभावों जो कि पद के प्रलोभन अथवा भौतिक पदार्थो के प्रलोभन अथवा इसी प्रकार के अन्य प्रलोभनों से प्रेरित होती है, पर रोक लगाने के लिए की गई है।
- इसका उद्देश्य भारतीय संसदीय लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करना तथा असैद्धांतिक और अनैतिक दल-परिवर्तन पर रोक लगाना है।
- तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसे सार्वजनिक जीवन में सुधारों की ओर पहला कदम बताया था।
- तत्कालीन केंद्रीय विधि मंत्री ने कहा था कि “यदि भारतीय लोकतंत्र को परिपक्वता तथा स्थिरता का कोई प्रभाव हो सकता है, तो बावनवें संशोधन विधेयक का दोनों सदनों में एकमत से स्वीकृत होना ही वह प्रमाण है।’
लाभ निम्न को दल-उद्धृत विरोधी कानून के लाभ के रूप में उद्धृत किया जा सकता है:-
- यह कानून विधायकों को दल-बदल को प्रवृत्ति पर रोक लगाकर राजनीतिक संस्था में उच्च स्थिरता प्रदान करता है ।
- यह राजनीतिक दलों को दूसरे दलों में शामिल होने अथवा किसी विद्यमान दल में टूट जैसे लोकतांत्रिक तरीके से विधायिका द्वारा पुनर्समूहन की सुविधा प्रदान करता है |
- ये राजनीतिक स्तर पर भ्रष्टाचार को कम करता है तथा
- अनियमित निर्वाचनों पर अप्रगतिशील खर्च को कम करता है ।
- इसने विद्यमान राजनीतिक दलों को एक संवैधानिक पहचान दी है ।
दलबदल विरोधी कानून की आलोचना क्यों हो रही है?
भारत में दलबदल विरोधी कानून विभिन्न क्षेत्रों से आलोचना का विषय रहा है। इस कानून की कुछ मुख्य आलोचनाएँ इस प्रकार हैं:
- असहमति पर अंकुश लगाना: यह कानून विधायकों की अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने, अपने विश्वासों के लिए खड़े होने या अपने मतदाताओं के हितों का प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
- पार्टी के भीतर लोकतंत्र का अभाव: दलबदलुओं को दंडित करके, कानून पार्टियों को अपने सदस्यों पर नियंत्रण रखने और अनुशासन से बाहर निकलने वालों को अनुशासित करने के लिए एक मजबूत प्रोत्साहन देता है। यह विधायकों को पार्टी नेताओं के खिलाफ बोलने या पार्टी के भीतर अलोकप्रिय मुद्दों को उठाने से हतोत्साहित कर सकता है।
- पार्टियों का विखंडन: कानून के तहत अयोग्य ठहराए जाने से बचने के लिए, राजनेता अपनी खुद की पार्टियाँ बना सकते हैं या मौजूदा छोटी पार्टियों में शामिल हो सकते हैं, जिससे पार्टी प्रणाली का विखंडन हो सकता है। इससे पार्टियों के लिए स्थिर सरकारें बनाना और नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करना मुश्किल हो सकता है।
- प्रतिनिधि लोकतंत्र को कमजोर करना: राजनीतिक लाभ के लिए कानून का दुरुपयोग किया गया है। राजनीतिक दल अपने सदस्यों को अनुशासित करने या उन्हें कुछ नीतियों या उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए मजबूर करने के लिए दलबदल की धमकी का इस्तेमाल करते हैं। इससे राजनीतिक प्रक्रिया की अखंडता कमजोर हो सकती है और राजनीतिक व्यवस्था में जनता का भरोसा खत्म हो सकता है।
- स्पीकर की विवादास्पद भूमिका: इस कानून की अस्पष्टता और पारदर्शिता की कमी के लिए आलोचना की गई है । कानून के प्रावधान व्याख्या के लिए खुले हैं, और दलबदल के सवालों पर स्पीकर या चेयरमैन का फैसला अंतिम है और इसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। पारदर्शिता और न्यायिक निगरानी की इस कमी ने प्रक्रिया की निष्पक्षता और निष्पक्षता के बारे में चिंताएँ पैदा की हैं ।
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