भारतीय संविधान सभा की स्थापना 6 दिसंबर 1946 को हुई थी। यह एक निर्वाचित निकाय था जिसे भारत के लिए एक संविधान का मसौदा तैयार करने और अपनाने का काम सौंपा गया था।
संविधान सभा की स्थापना के प्रमुख कारण:
- स्वतंत्रता के बाद भारत के लिए एक संविधान की आवश्यकता थी जो देश को एकजुट रख सके और सभी नागरिकों के लिए न्याय, समानता और स्वतंत्रता सुनिश्चित कर सके।
- ब्रिटिश शासन से मुक्ति के बाद भारत को एक नई राजनीतिक व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता थी।
- भारत की विविधता को दर्शाने वाला एक संविधान होना आवश्यक था।
संविधान सभा के सदस्य:
संविधान सभा में 326 सदस्य थे, जिन्हें विभिन्न समुदायों और राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया था।
संविधान सभा का कार्य:
संविधान सभा ने लगभग दो वर्षों तक विचार-विमर्श किया और 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया जो 26 जनवरी 1950 को प्रवृत्त हुआ।। संविधान सभा ने संविधान के मसौदे पर कई बैठकें और बहसें आयोजित कीं। विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों पर विचार किया गया और एक सर्वसम्मति से स्वीकार्य संविधान तैयार करने का प्रयास किया गया।
संविधान सभा का महत्व:
भारतीय संविधान सभा ने भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने एक ऐसा संविधान तैयार किया जो लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक, पंथनिरपेक्ष और न्यायपूर्ण समाज के आदर्शों को दर्शाता है।
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