- नीति आयोग (National Institution for Transforming India) भारत सरकार (GoI) का एक प्रमुख नीति ‘थिंक टैंक’ है, जो देश के लिए रणनीतिक दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह एक गतिशील मंच के रूप में कार्य करता है, जो भारत सरकार को दिशात्मक और नीतिगत दोनों तरह के इनपुट प्रदान करता है तथा केंद्र और राज्यों को प्रासंगिक तकनीकी सलाह प्रदान करता है।
- इसके मुख्य मिशन में विकास प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण दिशात्मक और रणनीतिक इनपुट प्रदान करना तथा विकास के लिए विचारों का इनक्यूबेटर बनना शामिल है।
नीति आयोग की स्थापना:-
- भारत सरकार ने मार्च 1950 में केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से राष्ट्र की आर्थिक रणनीति की देखरेख के लिए योजना आयोग की स्थापना की थी।
- यह आयोग शुरुआती वर्षों में प्रभावी रहा। यद्यपि, समय के साथ, इस पर बहुत अधिक केंद्रीयकृत होने तथा भारत के राज्यों की विविध आवश्यकताओं और बदलते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित नहीं करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा।
- इसलिए केंद्र सरकार ने 13 अगस्त 2014 को तत्कालीन योजना आयोग को समाप्त कर दिया।
- पूर्ववर्ती योजना आयोग के उत्तराधिकारी के रूप में, 1 जनवरी 2015 को नीति आयोग (राष्ट्रीय परिवर्तन संस्थान) नामक एक नई संस्था की स्थापना की गई। योजना आयोग के समान, नीति आयोग की स्थापना भारत सरकार के एक कार्यकारी संकल्प द्वारा की गई थी।
- भारत सरकार ने मार्च 1950 में केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से राष्ट्र की आर्थिक रणनीति की देखरेख के लिए योजना आयोग की स्थापना की थी।
इस प्रकार, नीति आयोग न तो संवैधानिक निकाय है (अर्थात संविधान द्वारा निर्मित नहीं) और न ही सांविधिक निकाय है (अर्थात संसद के अधिनियम द्वारा निर्मित नहीं)।
नीति आयोग की संरचना:- नीति आयोग में निम्नलिखित शामिल होंगे:
- नीति आयोग की संरचना में कुछ सदस्य पूर्णकालिक होते हैं तो कुछ अंशकालिक सदस्य होते हैं। इसमें राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया गया है।
- नीति आयोग में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों को इसलिए स्थान दिया गया है ताकि इस संस्थान के माध्यम से उन कमियों को दूर किया जा सके, जो इसके पूर्ववर्ती संस्थान योजना आयोग में नहीं थीं।
- नीति आयोग में कुछ ऐसे पदेन सदस्य भी शामिल किये गए हैं, जो किसी अन्य पद पर होने के कारण अपने आप ही नीति आयोग का हिस्सा भी बन जाते हैं।
- सबसे पहले तो नीति आयोग की अध्यक्षता भारत के प्रधान मंत्री द्वारा की जाती है।
- भारत के प्रधान मंत्री नीति आयोग के पदेन अध्यक्ष होते हैं। जो भी व्यक्ति भारत का प्रधान मंत्री होगा, वह अपने आप ही नीति आयोग का अध्यक्ष भी बन जाएगा।
- भारत का प्रधान मंत्री नीति आयोग का अंशकालिक हिस्सा नहीं, बल्कि पूर्णकालिक हिस्सा होता है।
- भारत के प्रधान मंत्री को नीति आयोग की बैठकों में किसी विशेष अवसर पर ही नहीं बुलाया जाता है, बल्कि जब कभी भी नीति आयोग की बैठक होती है, तो उसकी अध्यक्षता भारत के प्रधान मंत्री द्वारा ही की जाती है।
- भारत के प्रधान मंत्री के अलावा, नीति आयोग में एक उपाध्यक्ष भी होता है।
- नीति आयोग के उपाध्यक्ष की नियुक्ति भारत के प्रधान मंत्री के द्वारा ही की जाती है।
- नीति आयोग का उपाध्यक्ष नीति आयोग का एक पूर्णकालिक हिस्सा होता है, अर्थात् नीति आयोग के अध्यक्ष की तरह ही इसका उपाध्यक्ष भी नीति आयोग की किसी विशेष बैठकों के अवसर पर ही नहीं बुलाया जाता है, बल्कि वह नीति आयोग की हर एक बैठक में उपस्थित होता है।
- सामान्यतः एक ऐसा व्यक्ति, जो प्रधान मंत्री का विश्वासपात्र होता है, प्रधान मंत्री उसे नीति आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त करते हैं।
- नीति आयोग में एक ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारी’ (CEO) भी होता है। यह मुख्य कार्यकारी अधिकारी भारत सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी होता है।
- इसका एक निश्चित कार्यकाल होता है और इसकी नियुक्ति भी भारत के प्रधान मंत्री द्वारा ही की जाती है।
- नीति आयोग का यह मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीति आयोग के कार्य निष्पादन और नीतिगत फैसले लेने में बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इसके अलावा, भारत के प्रधान मंत्री कुछ ऐसे लोगों को भी नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में नियुक्त करते हैं, जो अपने अपने क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखते हैं। वे लोग आर्थिक क्षेत्र में, अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में या अन्य किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले हो सकते हैं।
- प्रधान मंत्री द्वारा पूर्णकालिक सदस्य के रूप में नियुक्त किए जाने वाले ये विशेषज्ञ लोग, देश के समक्ष उपस्थित समस्याओं का समाधान करने से संबंधित नीतियों के निर्माण में सरकार की मदद करते हैं।
- इन विशेषज्ञ सदस्यों को नीति आयोग की बैठक में विशेष आमंत्रण के साथ बुलाया जाता है।
- विशेषज्ञ लोग नीति आयोग की हर एक बैठक में हिस्सा नहीं लेते हैं, बल्कि जब कभी भी नीति आयोग को किसी विशेषज्ञता पूर्ण परामर्श की आवश्यकता होती है, तो इन विशेषज्ञ सदस्यों को नीति आयोग की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए बुलाया जाता है।
- भारत के प्रधान मंत्री केंद्रीय मंत्री परिषद के अधिकतम 4 मंत्रियों को भी नीति आयोग के पदेन सदस्य के रूप में नियुक्त करते हैं।
- कौन से मंत्रालय के मंत्री नीति आयोग के पदेन सदस्य होंगे, इस बात का निर्णय करना प्रधान मंत्री के विवेक पर निर्भर करता है। ये मंत्री, मंत्री के रूप में अपना पद धारण करने तक नीति आयोग के सदस्य बने रहते हैं।
- यदि भारत के प्रधान मंत्री चाहें, तो मंत्री परिषद के पदेन अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए इन 4 मंत्रियों के अतिरिक्त, किसी अन्य मंत्री या किन्हीं अन्य मंत्रियों को भी विशेष आमंत्रण के साथ नीति आयोग की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए बुलाया जा सकता है।
- नीति आयोग की संरचना के अंतर्गत एक ‘शासी परिषद’ (Governing Council) के गठन का प्रावधान भी किया गया है।
- शासी परिषद नीति आयोग की एक प्रमुख इकाई होती है।
- नीति आयोग की इस शासी परिषद में देश के सभी राज्यों के मुख्य मंत्री और देश के सभी केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल शामिल होते हैं।
- इसकी बैठक के दौरान समस्त राज्यों के मुख्य मंत्री और समस्त केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल अपने अपने प्रदेशों से संबंधित समस्याएँ नीति आयोग के समक्ष रखते हैं। इस व्यवस्था का उद्देश्य है कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में नीतियाँ बनाते समय उनकी चिंताओं का ध्यान भी रखा जा सके और उनकी समस्याओं का समाधान करने से संबंधित नीतियाँ बनाई जा सकें।
- भारत के प्रधान मंत्री नीति आयोग में अंशकालिक सदस्यों की नियुक्ति भी कर सकते हैं। वास्तव में, देश के ऐसे अग्रणी विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों तथा अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से संबंधित अधिकतम 2 सदस्यों को भारत के प्रधान मंत्री द्वारा नीति आयोग के अंशकालिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
- जब कभी भी किसी आकस्मिक मामले या किसी विशिष्ट मुद्दे के संबंध में कोई समस्या खड़ी होती है, तो उसके समाधान के लिए क्षेत्रीय परिषद के गठन का प्रावधान भी किया गया है।
- क्षेत्रीय परिषद की बैठकों में संबंधित राज्य अथवा राज्यों के मुख्य मंत्री और संबंधित केंद्र शासित प्रदेश अथवा केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल हिस्सा लेते हैं।
- क्षेत्रीय परिषद की बैठक भारत के प्रधान मंत्री के निर्देश पर आयोजित की जाती है।
- इन बैठकों का एक विशिष्ट कार्यकाल होता है तथा क्षेत्रीय परिषदों की अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष के द्वारा की जाती है।
- इसका अर्थ यह है कि किसी विशिष्ट मुद्दे अथवा किसी आकस्मिक समस्या का समाधान करने के पश्चात् इन क्षेत्रीय परिषदों का अस्तित्व भी समाप्त हो जाता है।
- क्षेत्रीय परिषद कोई पूर्णकालिक संस्था नहीं होती है, बल्कि किसी समस्या विशेष के समाधान के लिए गठित किया जाने वाला निकाय है और इसकी अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष के द्वारा की जाती है।
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