भारत के संविधान का अधिनियमन (Enactment of the Constitution of India) :एक विस्तृत दृष्टिकोण
संविधान सभा का गठन:
- 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा का गठन हुआ।
- इसमें 395 सदस्य थे, जिन्हें विभिन्न समुदायों और राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सभा का अध्यक्ष चुना गया।
संविधान का निर्माण:
- संविधान सभा ने 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिनों तक बैठकें कीं।
- इस दौरान, सदस्यों ने दुनिया भर के विभिन्न संविधानों का अध्ययन किया और भारत के लिए उपयुक्त प्रावधानों पर विचार-विमर्श किया।
- संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए कई समितियों का गठन किया गया।
- बी.आर. अंबेडकर को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
संविधान के मुख्य प्रावधान:
- भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया।
- मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों की गारंटी दी गई।
- संसदीय प्रणाली की स्थापना की गई, जिसमें विधायिका कार्यपालिका का चुनाव करती है और उसके प्रति जवाबदेह होती है।
- स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना की गई, जिसे कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र घोषित किया गया।
संविधान का अधिनियमन:
- 26 नवंबर 1949 को, संविधान सभा ने 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिनों की कठोर परिश्रम के बाद, भारत के संविधान को अंगीकार किया।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे।
- संविधान में 448 अनुच्छेद, 22 भाग और 12 अनुसूचियां थीं।
- यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान था।
भारत के संविधान का अंगीकरण: (Adoptiont of the Constitution of India)
- 26 जनवरी 1950 को, भारत का संविधान लागू हुआ।
- इस दिन को “गणतंत्र दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
- संविधान ने भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया।
- इसने मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों की गारंटी दी, और शासन की संसदीय प्रणाली स्थापित की। जिसमें विधायिका कार्यपालिका का चुनाव करती है और उसके प्रति जवाबदेह होती है।
- इसने एक स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना की, जिसे कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र घोषित किया गया।
संविधान का महत्व:
- भारत का संविधान देश का सर्वोच्च कानून है।
- यह नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
- यह सरकार के कामकाज को नियंत्रित करता है।
- यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देता है।
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