भारत की स्वतंत्रता के बाद, देशी रियासतों का एकीकरण भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी।
- ब्रिटिश शासन के दौरान, भारत को प्रांतों और देशी रियासतों में विभाजित किया गया था।
- प्रांत सीधे ब्रिटिश सरकार द्वारा शासित होते थे, जबकि देशी रियासतें स्वायत्त थीं, लेकिन ब्रिटिश सरकार के अधीन थीं।
स्वतंत्रता के बाद: राज्यों का एकीकरण
- 552 देशी रियासतें भारत की भौगोलिक सिमा में थी, जिसमे से 549 भारत में शामिल हो गयी। और शेष 3 (हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर) ने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया। हालाँकि, समय के साथ, पुलिस कार्रवाई के माध्यम से हैदराबाद, जनमत संग्रह के माध्यम से जूनागढ़ और विलय पत्र के माध्यम से कश्मीर को भी भारत में शामिल कर लिया गया।
- 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, देशी रियासतों को भारत में विलय कर दिया गया।
- भारत को राज्यों में पुनर्गठित किया गया, जो भाषाई और सांस्कृतिक आधार पर बनाए गए थे।
- कुछ क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया, जो सीधे केंद्र सरकार द्वारा शासित होते थे।
एकीकरण की चुनौतियां:
- रियासतों को एकीकृत करना एक जटिल और कठिन कार्य था।
- कई रियासतों के शासक स्वतंत्रता बनाए रखना चाहते थे।
- कुछ रियासतों में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी।
- रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने में समय और प्रयास लगे।
केंद्र शासित प्रदेश (केंद्र शासित प्रांत) भारत के संघ की विशिष्ट इकाइयाँ हैं जिनका शासन केंद्र सरकार द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है।
केंद्र शासित प्रदेश बनने के कारण:
कई कारणों से किसी क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया जा सकता है:
- रणनीतिक महत्व: कुछ केंद्र शासित प्रदेश, जैसे कि लद्दाख और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, भारत की रणनीतिक सीमाओं पर स्थित हैं।
- छोटा आकार या जनसंख्या: कुछ केंद्र शासित प्रदेश, जैसे कि चंडीगढ़ और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, छोटे होते हैं और उनकी जनसंख्या कम होती है।
- ऐतिहासिक कारण: कुछ केंद्र शासित प्रदेश, जैसे कि पुदुचेरी, ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहे हैं।
- विशिष्ट प्रशासनिक आवश्यकताएं: कुछ केंद्र शासित प्रदेशों को विशिष्ट प्रशासनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया जाता है, जैसे कि दिल्ली।
केंद्र शासित प्रदेशों की शासन व्यवस्था:
केंद्र शासित प्रदेशों की शासन व्यवस्था विभिन्न होती है:
- कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में विधायिका और मंत्रिमंडल होता है, जो चुनावों द्वारा चुने जाते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली और पुदुचेरी में विधायिकाएं हैं।
- अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में विधायिका नहीं होती है, और उन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल द्वारा शासित किया जाता है। उदाहरण के लिए, लद्दाख और जम्मू और कश्मीर में विधायिकाएं नहीं हैं।
- केंद्र सरकार सभी केंद्र शासित प्रदेशों में कानून बना सकती है और कार्यान्वित कर सकती है।
केंद्र शासित प्रदेशों का महत्व:
केंद्र शासित प्रदेश भारत के संघ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:
- वे भारत की विविधता और समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- वे भारत की रणनीतिक सीमाओं की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- वे भारत के विकास और प्रगति में योगदान करते हैं।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच अंतर:
- राज्यों को अपनी विधायिका और सरकार होती है।
- केंद्र शासित प्रदेशों में विधायिका हो सकती है या नहीं, लेकिन उनकी सरकार केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त की जाती है।
- राज्यों में अधिक शक्तियां होती हैं, जैसे कि कानून बनाना और कर लगाना।
- केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र सरकार द्वारा उन्हें सौंपी गई सीमित शक्तियां होती हैं।
देशी रियासतों का एकीकरण भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व और दूरदर्शिता का प्रतीक है। एकीकरण ने भारत को एक मजबूत और संयुक्त राष्ट्र बनाया और राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूत किया।
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