इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine)
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) एक साधारण इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसका उपयोग मतपत्रों एवं बक्सों के स्थान पर वोट रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। पारंपरिक मतदान प्रणालियों में वोटिंग के लिए मतपत्रों एवं बक्सों उपयोग किया जाता था।
- पारंपरिक मतपत्र या मतपेटी प्रणाली की तुलना में ईवीएम के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
- यह अवैध और संदिग्ध वोटों की संभावना को समाप्त कर देता है, जो कई मामलों में विवादों और चुनाव याचिकाओं का मूल कारण होते हैं।
- यह वोटों की गिनती की प्रक्रिया को पारंपरिक प्रणाली की तुलना में बहुत तीव्र बनाता है।
- यह आवश्यक कागज की मात्रा को काफी कम कर देता है, जिससे बड़ी संख्या में वृक्षों की बचत होती है और चुनाव प्रक्रिया अधिक पर्यावरण के अनुकूल हो जाती है।
- इससे मुद्रण की लागत कम हो जाती है (लगभग शून्य) क्योंकि प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए मतपत्र की केवल एक शीट की आवश्यकता होती है।
मतदान प्रक्रिया (Voting Procedure)
- लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों में मतदान गुप्त मतपत्र द्वारा किया जाता है।
- मतदान केंद्र आमतौर पर सार्वजनिक संस्थानों, जैसे स्कूल, सामुदायिक हॉल आदि में स्थापित किए जाते हैं।
- भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के अधिकारी यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि प्रत्येक मतदाता के दो किलोमीटर के भीतर एक मतदान केंद्र हो और किसी भी मतदान केंद्र पर 1200 से अधिक मतदाता ना हों।
- चुनाव के दिन प्रत्येक मतदान केंद्र कम से कम आठ घंटे तक खुला रहना चाहिए।
- जब मतदाता अपना वोट डालने के लिए मतदान केंद्र में प्रवेश करता है, तो मतदाता सूची के अनुसार मतदाता की जाँच की जाती है, एक पहचान दस्तावेज का सत्यापन किया जाता है, बाईं तर्जनी पर अमिट स्याही लगाई जाती है और एक मतदाता पर्ची जारी की जाती है।
- अंत में, सदन के पीठासीन अधिकारी द्वारा नियंत्रण इकाई में मतपत्र बटन को सक्रिय करके मतदाता को अपना वोट डालने की अनुमति दी जाती है।
चुनाव का पर्यवेक्षण करना (Supervising Elections)
- भारत का चुनाव आयोग (ECI) यह सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में चुनाव पर्यवेक्षकों को तैनात करता है कि चुनाव अभियान निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो और मतदाता स्वतंत्र रूप से एवं बिना किसी अनुचित प्रभाव के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
- चुनाव व्यय पर्यवेक्षक प्रत्येक उम्मीदवार एवं पार्टी द्वारा चुनाव पर व्यय की जाने वाली राशि पर नज़र रखते हैं।
मीडिया कवरेज (Media Coverage)
- मीडिया चुनाव के समय उत्साहित रूप से सक्रिय होती है और चुनाव को कवर करने के लिए व्यापक सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जा सके और साथ ही वोट की गोपनीयता बनाए रखी जा सके।
- मीडियाकर्मियों को वास्तविक मतगणना के दौरान मतदान प्रक्रिया और मतगणना हॉल को कवर करने के लिए मतदान केंद्रों में प्रवेश करने के लिए विशेष पास दिए जाते हैं।
- मीडिया जनमत सर्वेक्षण कराने के लिए भी स्वतंत्र है।
- हालाँकि, भारत के चुनाव आयोग ने यह निर्धारित किया है कि किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में जनमत सर्वेक्षण के नतीजे मतदान प्रारम्भ होने से दो दिन पहले और मतदान बंद होने के दो दिन बाद तक प्रकाशित नहीं किए जा सकते हैं।
- इसी प्रकार, एग्जिट पोल के नतीजे मतदान के आखिरी दिन मतदान का समय समाप्त होने के आधे घंटे के बाद ही प्रकाशित किए जा सकते हैं।
वोटों की गिनती (Counting of Votes)
- मतदान समाप्त होने के पश्चात् इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में डाले गए वोटों की गिनती भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा नियुक्त रिटर्निंग अधिकारियों और पर्यवेक्षकों की देखरेख में की जाती है।
- एक बार वोटों की गिनती समाप्त हो जाने के पश्चात् रिटर्निंग ऑफिसर (RO) उस उम्मीदवार के विजेता घोषित कर देते है, जिसे सबसे अधिक वोट मिले होते हैं।
- भारत का चुनाव आयोग (ECI) निर्वाचित सदस्यों की पूरी सूची संकलित करते हैं और सदन के गठन के लिए एक उचित अधिसूचना जारी करते हैं।
- इसके साथ ही चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाती है और राष्ट्रपति, लोकसभा के मामले में, और संबंधित राज्यों के राज्यपाल, राज्य विधानसभाओं के मामले में, सत्र आयोजित करने के लिए सदन को आहूत कर सकते हैं।
नोट: 1. लोकसभा के चुनाव फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट चुनावी प्रणाली के माध्यम से सम्पन्न कराए जाते हैं। a. पूरे देश को अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिन्हें निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, और मतदाता प्रत्येक उम्मीदवार को एक वोट दे सकते हैं। b. सबसे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाता है। – इसी प्रकार, भारत में राज्य विधान सभाओं के चुनाव भी लोकसभा चुनावों के अनुरूप फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट चुनावी प्रणाली के माध्यम से सम्पन्न कराए जाते हैं।
चुनाव याचिकाएँ (Election Petitions)
- कोई भी निर्वाचक या उम्मीदवार चुनाव याचिका दायर कर सकता है यदि उसे ऐसा लगता है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान कदाचार हुआ है।
- चुनाव याचिका कोई सामान्य दीवानी मुकदमा नहीं है बल्कि इसे एक प्रतियोगिता (Contest) के रूप में माना जाता है जिसमें पूरा निर्वाचन क्षेत्र शामिल होता है।
- चुनाव याचिकाओं की सुनवाई संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा की जाती है, और यदि सुनवाई के दौरान ये सिद्ध हो जाता है कि चुनावों में धाँधली हुई है, तो उस विशेष निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव को पुन: भी कराया जाता है।
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