भारतीय संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। उन्हें “भारतीय संविधान का शिल्पकार” भी कहा जाता है।
मसौदा(Draft): डॉ. अंबेडकर ने 2 नवंबर 1947 को संविधान सभा की प्रारूप समिति को संविधान का प्रारंभिक मसौदा पेश किया। यह मसौदा 2 साल 11 महीने की कड़ी मेहनत और गहन विचार-विमर्श का परिणाम था।
मसौदे की विशेषताएं:
- विस्तृत और समग्र: मसौदा 395 अनुच्छेदों और 22 भागों में विभाजित था, जो सरकार के ढांचे, मौलिक अधिकारों, नागरिकों के कर्तव्यों, न्यायपालिका, चुनाव प्रणाली और वित्तीय प्रणाली सहित विभिन्न विषयों को शामिल करता था।
- लोकतांत्रिक और गणतंत्रात्मक: Draft एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतंत्रात्मक भारत की स्थापना करता था। भारतीय संविधान एक लोकतांत्रिक और गणतंत्रात्मक दस्तावेज है।
लोकतांत्रिक:
- जनता शक्ति का स्रोत है।
- नागरिकों को मौलिक अधिकार और स्वतंत्रताएं प्राप्त हैं।
- सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है।
- चुनाव नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं और निष्पक्ष होते हैं।
- बहुमत शासन का सिद्धांत लागू होता है।
गणतंत्रात्मक:
- राज्य का प्रमुख राष्ट्रपति होता है, जो जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता है।
- सरकार संविधान द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर काम करती है शक्तियों का पृथक्करण होता है, जिसके तहत विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका एक दूसरे से स्वतंत्र होती हैं।
- नागरिकों को कानून के समक्ष समानता प्राप्त है।
संविधान में लोकतांत्रिक और गणतंत्रात्मक सिद्धांतों को संतुलित करने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं।
उदाहरण:
- मौलिक अधिकारों की रक्षा न्यायपालिका द्वारा की जाती है।
- चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का आयोजन करता है।
- लोकपाल और लोकअदालतों जैसी संस्थाएं नागरिकों को सरकार से जवाबदेही प्राप्त करने में मदद करती हैं।
3. मौलिक अधिकारों पर बल: भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों पर विशेष बल देता है। ये अधिकार नागरिकों को कुछ बुनियादी स्वतंत्रता और सुरक्षा प्रदान करते हैं जो उनके जीवन, स्वतंत्रता और सम्मान के लिए आवश्यक हैं। जैसे कि समानता, स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, शोषण के खिलाफ अधिकार, और सांस्कृतिक और शिक्षा संबंधी अधिकार।
मौलिक अधिकारों का महत्व:
- लोकतंत्र की रक्षा: मौलिक अधिकार नागरिकों को सरकार के मनमाने शासन से बचाते हैं और लोकतंत्र की रक्षा करते हैं।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता: वे नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म की स्वतंत्रता, शोषण के खिलाफ अधिकार, और सांस्कृतिक और शिक्षा संबंधी अधिकार जैसे अधिकार प्रदान करते हैं।
- समानता: वे सभी नागरिकों को जाति, धर्म, लिंग, या किसी अन्य आधार पर भेदभाव के बिना समानता का अधिकार प्रदान करते हैं।
- न्याय: वे नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का अधिकार प्रदान करते हैं।
- गरिबी उन्मूलन: राज्य गरीबी और असमानता को दूर करने का प्रयास करेगा।
मौलिक अधिकारों की विशेषताएं:
- संवैधानिक अधिकार: वे सीधे संविधान में निहित हैं और सरकार द्वारा उनका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है।
- न्यायिक रूप से प्रवर्तनीय: यदि इनका उल्लंघन होता है तो नागरिक न्यायालयों में जा सकते हैं और न्याय प्राप्त कर सकते हैं।
- मौलिक: वे सभी नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार हैं और इन पर कोई पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है।
- गैर-निलंबित: आपातकालीन स्थिति में भी कुछ मौलिक अधिकारों को निलंबित नहीं किया जा सकता है।
4. केंद्रीयकृत और एकात्मक शासन: मसौदा एक मजबूत केंद्र सरकार और एकात्मक शासन प्रणाली का प्रस्ताव रखता था।
- केंद्रीयकृत और एकात्मक शासन प्रणाली की विशेषताएं:
- केंद्रीयकृत शासन में, अधिकांश शक्तियां केंद्र सरकार के पास होती हैं। स्थानीय सरकारें केंद्र सरकार के अधीन होती हैं और उन्हें सीमित स्वायत्तता होती है।एकात्मक शासन एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें एक ही केंद्रीय सरकार पूरे देश पर शासन करती है।
- शक्तियों का केंद्रीकरण: केंद्र सरकार के पास राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, अर्थव्यवस्था, मुद्रा, और कानून बनाने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय लेने की शक्ति होती है।
- स्थानीय सरकारों की सीमित स्वायत्तता: स्थानीय सरकारें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सीमाओं के अंदर ही काम कर सकती हैं।
- एकसमान कानून और नीतियां: पूरे देश में एक ही कानून और नीतियां लागू होती हैं।
- मजबूत नेतृत्व: केंद्र सरकार में आमतौर पर एक मजबूत नेता होता है, जैसे कि राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री।
संविधान के मसौदे(Draft) में आमतौर पर निम्नलिखित मुद्दे शामिल हैं:
- राष्ट्रीय उद्देश्य और मूल अधिकार: संविधान के मसौदे में राष्ट्रीय उद्देश्य और नागरिकों के मूल अधिकार तथा कर्तव्यों का स्पष्टीकरण किया जाता है।
- सरकारी संगठन: संविधान के मसौदे में सरकारी संगठन की संरचना, शक्तियों और कार्यक्षेत्रों का विवरण शामिल होता है।
- राजनीतिक प्रणाली: देश की राजनीतिक प्रणाली के मसौदे में विवरण शामिल होता है, जिसमें लोकतंत्र, संसदीय प्रणाली, न्यायिक प्रणाली आदि का व्याख्यान होता है।
- सांस्कृतिक संरचना: संविधान के मसौदे में राष्ट्रीय सांस्कृतिक संरचना, संरक्षण और समरक्षण के प्रावधान भी शामिल होते हैं।
- संविधानिक निकायों की भूमिका: संवैधानिक निकाय वे स्वतंत्र संस्थाएं हैं जिनकी स्थापना सीधे भारतीय संविधान द्वारा की गई है। ये निकाय सरकार के तीन अंगों – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका से स्वतंत्र हैं और विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों का निर्वहन करते हैं।
भारतीय संविधान में कई संवैधानिक निकायों(Constitutional Bodies) है, जिनमें शामिल हैं:
- न्यायपालिका: भारत की सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय न्यायपालिका का गठन करते हैं। वे संविधान की व्याख्या करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि कानून संविधान के अनुरूप हैं।
- चुनाव आयोग: चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का आयोजन और संचालन करने के लिए जिम्मेदार है।
- महानियंत्रक और लेखा परीक्षक (CAG): CAG सरकार के खर्चों का ऑडिट करता है और यह सुनिश्चित करता है कि धन का उपयोग उचित और कुशलतापूर्वक किया जाता है।
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC): UPSC विभिन्न सरकारी सेवाओं के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित करता है।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC): NHRC मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करता है और पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद करता है।
संवैधानिक निकायों की भूमिका(Role of constitutional bodies):
- लोकतंत्र की रक्षा: वे सरकार की शक्तियों पर नियंत्रण रखते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकार संविधान का पालन करे।
- मौलिक अधिकारों की रक्षा: वे नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करते हैं और सरकार द्वारा उनके उल्लंघन को रोकते हैं।
- जवाबदेही सुनिश्चित करना: वे सरकार को जवाबदेह ठहराते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि वह जनता के प्रति जवाबदेह है।
- न्याय प्रदान करना: वे नागरिकों को न्याय प्रदान करते हैं और उनकी शिकायतों का निवारण करते हैं।
- सुशासन में सुधार: वे सुशासन में सुधार के लिए सुझाव देते हैं और सरकार को नीतियां बनाने में मदद करते हैं।
महत्व: डॉ. अंबेडकर का मसौदा भारतीय संविधान का आधार बना। संविधान सभा ने 2 वर्षों से अधिक समय तक इस पर बहस और विचार-विमर्श किया और इसमें कई बदलाव किए गए। 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
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