संवैधानिक प्रावधान:-
- अनुच्छेद 340 अन्य बातों के साथ-साथ “सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों” की पहचान करने, उनके पिछड़ेपन की स्थितियों को समझने और उनके सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिये सिफारिशें करने की आवश्यकता से संबंधित है।
- 102वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारतीय संविधान में दो नए अनुच्छेदों 338 B और 342 A को जोड़ा गया। यह संशोधन अनुच्छेद 366 में भी कुछ परिवर्तन करता है।
- अनुच्छेद 338 B सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों से संबंधित शिकायतों और कल्याणकारी उपायों की जाँच करने के लिये NCBC को अधिकार प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 342 A राष्ट्रपति को विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को निर्दिष्ट करने का अधिकार प्रदान करता है। इन वर्गों को निर्दिष्ट करने के लिये वह संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श कर सकता है। हालाँकि यदि पिछड़े वर्गों की सूची में संशोधन किया जाना है तो इसके लिये संसद द्वारा अधिनियमित कानून की आवश्यकता होगी।
NCBC का विकास:- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC), अपने वर्तमान स्वरूप में, जैसा कि नीचे देखा जा सकता है, विकास की एक श्रृंखला के माध्यम से विकसित हुआ है:
मंडल केस, 1992:-
इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ मामले (1992) में, जिसे मंडल मामले (1992) के रूप में भी जाना जाता है, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पिछड़े वर्गों की सूची में किसी भी वर्ग के नागरिकों को शामिल न करने (गैर-समावेशन), कम शामिल करने (अल्प-समावेशन) या अधिक शामिल करने की शिकायतों की जाँच के लिए एक स्थायी वैधानिक निकाय गठित करने का निर्देश दिया।
वैधानिक निकाय के रूप में स्थापना:-
- सुप्रीम कोर्ट के मंडल मामले के निर्णय का अनुपालन करते हुए संसद ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 को अधिनियमित किया।
- यह अधिनियम सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को एक वैधानिक निकाय के रूप में स्थापित करता है।
102वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2018:-
- इसने संविधान में एक नया अनुच्छेद 338-B जोड़ा तथा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबी) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- इस प्रकार, 102वें संविधान संशोधन के बाद एनसीबी एक संवैधानिक निकाय बन गया।
- पिछड़े वर्गों के हितों की अधिक प्रभावी ढंग से रक्षा करने के लिए इस संशोधन ने आयोग को सौंपे गए कार्यों के दायरे को भी बढ़ा दिया।
- इसने संविधान में एक नया अनुच्छेद 338-B जोड़ा तथा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबी) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
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