पॉल एच. एप्पलबी ने भारतीय प्रशासन पर अपनी दो रिपोर्टों में CAG की भूमिका की कड़ी आलोचना की और उसके काम के महत्व पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि CAG को ऑडिट की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया जाना चाहिए। दूसरे शब्दों में, उन्होंने CAG के कार्यालय को समाप्त करने की सिफारिश की।
भारतीय ऑडिट की उनकी आलोचना के बिंदु इस प्रकार हैं:-
- भारत में CAG का कार्य काफी हद तक औपनिवेशिक शासन से विरासत में मिला है।
- आज CAG निर्णय लेने और कार्रवाई करने में व्यापक और पंगु कर देने वाली अनिच्छा का मुख्य कारण है। लेखापरीक्षा का दमनकारी और नकारात्मक प्रभाव होता है।
- संसद ने संसदीय उत्तरदायित्व के लिए लेखापरीक्षा के महत्व को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताया है, और इसीलिए वह CAG के कार्यों को उस प्रकार परिभाषित करने में विफल रही है, जैसा कि संविधान में परिकल्पित किया गया है।
- सीएजी का कार्य वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण नहीं है। लेखा परीक्षकों को अच्छे प्रशासन के बारे में बहुत कुछ पता नहीं है और उनसे इसकी अपेक्षा भी नहीं की जा सकती है; उनकी प्रतिष्ठा उन लोगों के बीच सबसे अधिक है जो प्रशासन के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं।
- लेखा परीक्षक जानते हैं कि लेखापरीक्षा क्या है, जो कि प्रशासन नहीं है; यह एक आवश्यक, किन्तु अत्यंत साधारण कार्य है, जिसका दृष्टिकोण संकीर्ण है तथा उपयोगिता भी बहुत सीमित है।
- विभाग का एक उप सचिव अपने विभाग की समस्याओं के बारे में CAG और उसके पूरे स्टाफ से भी अधिक जानता है।
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