पृष्ठभूमि:-
- भारत की संसद ने प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, 1985 द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 323-ए के तहत केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का निर्माण किया। इसकी स्थापना संविधान के 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से की गई थी ।
- 1985 में प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम केंद्र सरकार द्वारा एक केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण एवं राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण स्थापित करने का प्रावधान करता है।
संवैधानिक प्रावधान:-
- अनुच्छेद 323 ए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरणों का प्रावधान करता है। इसके अंतर्गत, मात्र संसद ही केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की स्थापना कर सकती है, न कि राज्य विधानमंडल।
अनुच्छेद 323 बी:-
- यह अन्य न्यायाधिकरणों से संबंधित है, ऐसे न्यायाधिकरणों को संसद और राज्य विधानसभाओं दोनों द्वारा गठित करने का अधिकार देता है।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के बारे में:-
- केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण एक विशेषज्ञ निकाय है जिसमें प्रशासनिक सदस्य एवं न्यायिक सदस्य सम्मिलित होते हैं जो अपने विशेष ज्ञान के आधार पर त्वरित एवं प्रभावी न्याय देने हेतु बेहतर ढंग से सुसज्जित होते हैं।
- इसका प्रमुख उद्देश्य संघ या सरकार के नियंत्रण में अन्य प्राधिकरणों के मामलों के संबंध में सार्वजनिक सेवाओं और पदों पर नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों के संबंध में विवादों और शिकायतों का निपटारा करना।
- केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों के अलावा, सरकार ने समय-समय पर कैट के अधिकार क्षेत्र के तहत लगभग 214 संगठनों को अधिसूचित किया है।
- कैट के अध्यक्ष और सदस्यों की सेवा शर्तें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान ही हैं।
- केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ: यह नई दिल्ली, भारत में स्थित है। अन्य शाखाएं: पूरे भारत में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में 17 बेंच और 21 सर्किट बेंच हैं।
- ट्रिब्यूनल के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और सेवा की शर्तें केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट की जाती हैं।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का अधिदेश:
- केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरणों से देश में लोक सेवा में संलग्न कर्मियों की भर्ती एवं सेवा की शर्तों से संबंधित मामलों पर निर्णय करना है।
अनुच्छेद 323ए केवल सार्वजनिक सेवा मामलों के लिए न्यायाधिकरणों के लिए है।
- केन्द्रीय स्तर पर केवल एक सेवा तथा प्रत्येक राज्य या दो या अधिक राज्यों के लिए एक सेवा स्थापित की जा सकती है।
- यहां न्यायाधिकरणों का कोई पदानुक्रम नहीं है।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का क्षेत्राधिकार:- केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) निम्नलिखित से संबंधित सभी सेवा मामलों पर मूल क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है:
- अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्य।
- संघ की किसी सिविल सेवा या संघ के अधीन सिविल पद पर नियुक्त व्यक्ति।
- किसी भी रक्षा सेवा या रक्षा से संबंधित पदों पर नियुक्त नागरिक।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के कर्मचारी जिन्हें सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था।
- अपवाद: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का रक्षा बलों के सदस्यों, अधिकारियों, सर्वोच्च न्यायालय के कर्मचारियों एवं संसद के सचिवीय कर्मचारियों पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
- शक्तियां: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण को उच्च न्यायालय के समान स्वयं की अवमानना के संबंध में उसी अधिकार क्षेत्र एवं अधिकार का प्रयोग करने की शक्तियां प्रदान की गई है।
- केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के आदेशों के विरुद्ध अपील: एक न्यायाधिकरण के आदेशों के विरुद्ध अपील उच्च न्यायालय में की जा सकती है, न कि सीधे सर्वोच्च न्यायालय में।
- चंद्र कुमार वाद, 1997 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरणों की अपीलों पर उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र को बरकरार रखा।
टिप्पणी:- रक्षा बलों के सदस्य, अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारी, संसद के सचिवालय कर्मचारी कैट के अंतर्गत नहीं आते हैं।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की शक्तियां :-
- यह केवल प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम 1985 के अंतर्गत आने वाले पक्षों के सेवा मामलों के संबंध में क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है।
- ट्रिब्यूनल मामलों का निर्णय लेने में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है और सिविल प्रक्रिया संहिता द्वारा निर्धारित प्रक्रिया से बंधा नहीं होता है।
- इसे प्रक्रिया और अभ्यास के अपने नियम बनाने का अधिकार है।
- इसे उच्च न्यायालय के रूप में स्वयं की अवमानना के संबंध में समान क्षेत्राधिकार और अधिकार का प्रयोग करने की शक्ति प्रदान की गई है।
Leave a Reply