संविधान संशोधन प्रक्रिया:-
अनुच्छेद 368 में संविधान संशोधन की प्रक्रिया इस प्रकार है:
- संविधान में संशोधन केवल संसद के किसी भी सदन (लोकसभा और राज्य सभा ) में विधेयक प्रस्तुत करके ही किया जा सकता है, राज्य विधानसभाओं में नहीं।
- यह विधेयक किसी मंत्री या किसी निजी सदस्य द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है और इसके लिए राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है।
- विधेयक को प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत से पारित किया जाना चाहिए, अर्थात सदन की कुल सदस्यता के बहुमत (अर्थात 50 प्रतिशत से अधिक) तथा सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से।
- प्रत्येक सदन को विधेयक को अलग-अलग पारित करना होगा।
- दोनों सदनों के बीच असहमति की स्थिति में विधेयक पर विचार-विमर्श और उसे पारित करने के लिए दोनों सदनों की संयुक्त बैठक आयोजित करने का कोई प्रावधान नहीं है।
- यदि विधेयक संविधान के संघीय प्रावधानों में संशोधन करने का प्रयास करता है, तो उसे आधे राज्यों की विधानसभाओं द्वारा साधारण बहुमत से अनुमोदित किया जाना चाहिए, अर्थात सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से।
- संसद के दोनों सदनों द्वारा विधिवत पारित होने तथा राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थित होने के बाद, जहां आवश्यक हो, विधेयक को राष्ट्रपति के समक्ष स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
- राष्ट्रपति को विधेयक पर अपनी सहमति देनी होगी। वह न तो विधेयक पर अपनी सहमति रोक सकता है और न ही विधेयक को संसद के पुनर्विचार के लिए वापस कर सकता है
- राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद विधेयक अधिनियम (अर्थात् संविधान संशोधन अधिनियम) बन जाता है और अधिनियम की शर्तों के अनुसार संविधान संशोधित हो जाता है।
‘भारतीय संविधान में संशोधन के प्रकार’ विषय से प्रश्न अक्सर पूछे जाते रहे हैं। यूपीएससी 2023 की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को ऐसे विषयों पर ध्यान देना चाहिए और आगामी परीक्षा के अनुसार तैयारी करनी चाहिए।
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