74 वां संविधान संशोधन अधिनियम:-
- शहरी स्थानीय सरकारों को 1992 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान 74 वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से संवैधानिक रूप दिया गया था। यह 1 जून 1993 को लागू हुआ।
- इसमें भाग IX-A जोड़ा गया तथा इसमें अनुच्छेद 243-P से 243- ZG तक के प्रावधान शामिल हैं ।
- इसके अलावा, इस अधिनियम ने संविधान में 12 वीं अनुसूची भी जोड़ी। इसमें नगर पालिकाओं के 18 कार्यात्मक मद शामिल हैं।
- इस अधिनियम ने नगर पालिकाओं को संविधान के न्यायोचित भाग के दायरे में ला दिया है।
- दूसरे शब्दों में, राज्य सरकारें अधिनियम [अनुच्छेद 243 क्यू] के प्रावधानों के अनुसार नगरपालिकाओं की नई प्रणाली को अपनाने के लिए संवैधानिक दायित्व के तहत हैं।
- इस अधिनियम का उद्देश्य शहरी सरकारों को पुनर्जीवित और मजबूत बनाना है ताकि वे स्थानीय सरकार की इकाइयों के रूप में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:-
- 1989 में राजीव गांधी सरकार ने लोकसभा में 65वां संविधान संशोधन विधेयक (नगरपालिका विधेयक) पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य नगर निकायों को संवैधानिक दर्जा देकर उन्हें मजबूत और नया स्वरूप प्रदान करना था।
- यद्यपि यह विधेयक लोक सभा में पारित हो गया, किन्तु अक्टूबर 1989 में यह राज्य सभा में पराजित हो गया और इसलिए यह निरस्त हो गया।
- वी.पी. सिंह के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय मोर्चा सरकार ने सितंबर 1990 में पुनः लोकसभा में संशोधित नगरपालिका विधेयक पेश किया। हालाँकि, विधेयक पारित नहीं हुआ और अंततः लोकसभा के विघटन के कारण समाप्त हो गया।
- पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने भी सितंबर 1991 में लोकसभा में संशोधित नगर पालिका विधेयक पेश किया। अंततः यह 1992 के 74वें संविधान संशोधन अधिनियम के रूप में सामने आया और 1 जून 1993 को लागू हुआ।
महत्व:-
- कस्बे और शहर देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- ये शहरी केन्द्र ग्रामीण क्षेत्र के विकास में भी महत्वपूर्ण सहायक भूमिका निभाते हैं।
- इस आर्थिक परिवर्तन को जमीनी स्तर पर जरूरतों और वास्तविकताओं के अनुरूप बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि लोग और उनके प्रतिनिधि स्थानीय स्तर पर कार्यक्रमों की योजना और कार्यान्वयन में पूरी तरह से शामिल हों।
- यदि संसद और राज्य विधानसभाओं में लोकतंत्र को मजबूत और स्थिर रखना है, तो इसकी जड़ें कस्बों, गांवों और शहरों तक पहुंचनी चाहिए जहां लोग रहते हैं।
74वें संशोधन अधिनियम, 1992 की विशेषताएं:-
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243Q नगरपालिकाओं अर्थात् नगर पंचायत, नगर परिषद और नगर निगम की स्थापना से संबंधित है।
- अनुच्छेद 243R नगरपालिकाओं की संरचना से संबंधित है; इसमें वर्णित है कि इसके सभी सदस्य प्रत्यक्ष तौर पर नगरपालिका क्षेत्र के लोगों द्वारा चुने जाते हैं जो क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित होते हैं जिन्हें वार्ड के रूप में जाना जाता है।
- अनुच्छेद 243S वार्ड समितियों के गठन और संरचना से संबंधित है जिसमें वार्ड तथा वार्ड के सदस्य शामिल होते हैं जो नगरपालिका में उस वार्ड का प्रतिनिधित्त्व करते हैं।
- अनुच्छेद 243T प्रत्येक नगरपालिका में सीटों के आरक्षण से संबंधित है। इसके अनुसार-
- प्रत्येक नगरपालिका में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये सीटों का आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात में किया जाता है।
- इसके तहत महिलाओं के लिये कुल सीटों में से एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान है।
- राज्य विधानमंडल के पास निम्न वर्गों के कल्याण हेतु किसी भी स्तर पर आरक्षण नीति लागू करने का अधिकार है।
- अनुच्छेद 243U नगरपालिकाओं की अवधि से संबंधित है। इसके अनुसार-
- नगरपालिकाओं को हर स्तर पर पाँच वर्ष का कार्यकाल प्रदान किया गया है। हालाँकि इसे इसकी अवधि पूरी होने से पहले भी विघटित किया जा सकता है।
- एक नगरपालिका, यदि नगरपालिका के विघटन के बाद चुनी जाती है, तो शेष अवधि के लिये बनी रहेगी, जितने समय तक विघटित नगरपालिका अस्तित्त्व में रहती, यदि वह भंग न हुई होती।
- अनुच्छेद 243V नगरपालिका के सदस्यों को अयोग्य घोषित करने के आधार से संबंधित है। इसमें अनुसार किसी व्यक्ति को निम्नलिखित आधारों पर अयोग्य घोषित किया जाएगा:
- यदि वह संबंधित राज्य की विधायिका के चुनावी प्रयोजनों के लिये उस समय लागू किसी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया हो; अथवा
- यदि वह राज्य विधायिका द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया है।
- हालाँकि, किसी भी व्यक्ति को इस उसकी आयु, अर्थात् यदि उसकी आयु 21 वर्ष है, तब उसे आयु के आधार पर यह कहकर अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता कि उनकी आयु 25 वर्ष से कम है।
- अनुच्छेद 243W नगरपालिकाओं की शक्तियों, प्राधिकरणों और ज़िम्मेदारियों से संबंधित है जिसमें शहरी नियोजन, वित्तीय तथा सामाजिक विकास इत्यादि शामिल हैं।
- अनुच्छेद 243X में वर्णित है कि भारतीय संविधान राज्य के विधानमंडल के पास कर निर्धारण संबंधी मामलों पर कानून स्थापित करने का अधिकार है।
- अनुच्छेद 243Y वित्त आयोग के गठन का प्रावधान करता है जो राज्य तथा नगरपालिका के बीच वित्त के वितरण पर अपनी राय प्रस्तुत करेगा और सहायता सब्सिडी का निर्धारण करेगा।
- अनुच्छेद 243ZA भारत के निर्वाचन आयोग से स्वतंत्र एक राज्य निर्वाचन आयोग की स्थापना का प्रावधान करता है, जो 5 पाँच वर्ष की अवधि के लिये प्रत्येक नगर निगम के लिये चुनाव आयोजित करता है।
- अनुच्छेद 243ZC के अनुसार भारतीय संविधान के भाग IXA के प्रावधान अनुच्छेद 244 में निर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्रों पर लागू नहीं होते हैं।
- इनमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम शामिल हैं। यह दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र पर भी लागू नहीं होता है।
- अनुच्छेद 243ZE के अनुसार, संपूर्ण महानगर क्षेत्र के लिये एक मसौदा सुधार योजना तैयार के लिये प्रत्येक महानगरीय क्षेत्र एक महानगर योजना समिति की स्थापना करेगा।
- महानगर क्षेत्र का आशय एक अथवा एक से अधिक ज़िलों में 10 लाख अथवा उससे अधिक की आबादी वाले क्षेत्र से है, और इसमें दो या दो से अधिक नगरपालिकाएँ या पंचायतें या अन्य सन्निहित क्षेत्र शामिल होते हैं।
- चुनावी मामलों में न्यायालयों द्वारा हस्तक्षेप पर रोक
- यह अधिनियम नगरपालिका चुनावों में न्यायालयों के हस्तक्षेप पर प्रतिबंध लगाता है।
- इसमें यह भी कहा गया है कि नगरपालिका के चुनाव को चुनौती देने के लिये एक चुनाव याचिका उचित प्राधिकारी के साथ और राज्य विधायिका द्वारा उल्लिखित तरीके से दायर की जानी चाहिये।
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