सांची की गुफाएं मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित हैं। ये गुफाएं ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से चौथी शताब्दी तक विभिन्न समय अवधि में बनाई गई थीं। गुफाओं को बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा तपस्या और साधना के लिए बनाया गया था।
सांची की गुफाएं मुख्य रूप से दो प्रकार की हैं:
चैत्य गुफाएं: ये गुफाएं बौद्ध धर्म के पूजा स्थलों के रूप में बनाई गई थीं। इन गुफाओं में एक केंद्रीय कक्ष होता है जिसे “चैत्य” कहा जाता है। चैत्य में एक बौद्ध प्रतिमा या मूर्ति होती है।
विहार गुफाएं: ये गुफाएं बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों के रहने के लिए बनाई गई थीं। इन गुफाओं में एक या एक से अधिक कमरे होते हैं।
सांची की गुफाओं में की गई नक्काशी भारत में बौद्ध कला के विकास का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। नक्काशी में बौद्ध धर्म के विभिन्न विषयों को दर्शाया गया है, जिसमें भगवान बुद्ध की कहानियां, बौद्ध देवताओं और देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। सांची की गुफाएं भारत के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों में से एक हैं। इन गुफाओं को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
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