संजा और मामुलिया, बुन्देलखण्ड क्षेत्र की लड़कियों का एक विशेष त्यौहार है। यह त्यौहार श्रावण मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है।
संजा:
संजा, श्रावण मास की अमावस्या से पहले की रात को मनाया जाता है।
इस दिन, लड़कियां अपने हाथों से गेंहू के आटे से ‘संजा’ नामक एक प्रतिमा बनाती हैं।
इस प्रतिमा को साड़ी और गहनों से सजाया जाता है।
रात भर, लड़कियां संजा के साथ गीत गाती हैं और नाचती हैं।
अगले दिन सुबह, प्रतिमा को किसी तालाब या नदी में विसर्जित कर दिया जाता है।
मामुलिया:
मामुलिया, श्रावण मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है।
इस दिन, लड़कियां किसी पेड़ की टहनी या झाड़ी (विशेषकर नींबू) को रंगीन कपड़े और फूलों से सजाकर ‘मामुलिया’ बनाती हैं।
शाम को, लड़कियां मामुलिया को गीत गाते हुए किसी नदी या जलाशय में विसर्जित कर देती हैं।
मान्यताएं:
माना जाता है कि संजा और मामुलिया त्यौहार, अच्छी बारिश और फसलों की अच्छी पैदावार के लिए मनाया जाता है।
यह त्यौहार, लड़कियों के जीवन में सुख और समृद्धि लाने वाला भी माना जाता है।
संजा और मामुलिया का महत्व:
संजा और मामुलिया त्यौहार, बुन्देलखण्ड क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यह त्यौहार, लड़कियों में प्रकृति के प्रति प्रेम और कृतज्ञता की भावना पैदा करता है।
यह त्यौहार, सामाजिक सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देने में भी मदद करता है।
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