प्रद्योत राजवंश, जिसे पृथ्वीम भोक्श्यंती भी कहा जाता है, एक प्राचीन भारतीय राजवंश था जिसने 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक मध्य प्रदेश के अवंती क्षेत्र पर शासन किया था। यह राजवंश अपनी शक्ति और महत्व के लिए जाना जाता था, और इसने मगध सहित कई पड़ोसी राज्यों को पराजित किया था।
प्रद्योत: राजवंश के संस्थापक, जिन्होंने मगध पर विजय प्राप्त की और 138 वर्षों तक शासन किया।
पालक: प्रद्योत का पुत्र, जिसने उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया।
विशाखायुप: पालक का पुत्र, जिसने मगध पर पुनः विजय प्राप्त की।
अजक: विशाखायुप का पुत्र, जिसके शासनकाल में राजवंश का पतन हुआ।
इस राजवंश ने अवंती को एक शक्तिशाली राज्य बनाया और कला, संस्कृति और व्यापार को बढ़ावा दिया।
इसने मगध जैसे शक्तिशाली पड़ोसी राज्यों को पराजित करके अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया।
इस राजवंश ने उज्जैन को एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया।
प्रद्योत राजवंश ने अनेक भवनों और मंदिरों का निर्माण करवाया, जिनमें से कुछ आज भी मौजूद हैं।
राजवंश के अंदरूनी संघर्ष और उत्तराधिकार के युद्ध।
मगध और अन्य पड़ोसी राज्यों द्वारा बढ़ता खतरा।
आर्थिक कमजोरी और अकाल।
उज्जैन शहर, जो प्रद्योत राजवंश की राजधानी थी, आज भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है।
भोजपुर मंदिर, जो प्रद्योत राजवंश द्वारा बनवाया गया था, मध्य प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
कालिदास, जिन्हें संस्कृत के महान कवि माना जाता है, प्रद्योत राजवंश के दरबार में रहते थे।
Leave a Reply