राज्य में बाघ, हाथी, तेंदुआ, गेंडा, चीतल, सांबर, चित्तीदार हिरण, और नीलगाय सहित विभिन्न प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं।
वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता:
- बहुरंगी वन्यजीव समृद्धता: मध्यप्रदेश में बहुत सारे वन्यजीव प्रजातियाँ हैं जैसे कि बाघ, सिंह, हाथी, लाल कबूतर, संगर, नीलगाय, चीतल, गौर, खरगोश, बंदर आदि। इन्हें संरक्षित किए बिना इन प्रजातियों की संख्या में कमी आ सकती है और इससे पर्यावरणीय संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- पर्यावरणीय सेवाएं: वन्यजीव हमारे पर्यावरण के संतुलन और बेहतर सेवाएं प्रदान करते हैं जैसे कि वायु शुद्धिकरण, जल संरक्षण, मृदा संरक्षण, और जीवनदायिनी स्त्रोतों का संरक्षण।
- पर्यटन और आर्थिक उपार्जन: मध्यप्रदेश के वन्यजीवन और नेचर टूरिज्म का महत्वपूर्ण स्थान है, जो पर्यटन उद्योग के रूप में आर्थिक उपार्जन प्रदान करते हैं। इन्हें संरक्षित रखकर स्थानीय समुदायों को भी लाभ पहुँचाया जा सकता है।
- प्राकृतिक आपातकालीनता: वन्यजीव संरक्षण के माध्यम से प्राकृतिक आपातकालीनता का समाधान भी होता है। वन्यजीव प्रजातियाँ वायुमंडलीय बदलावों और जलवायु परिवर्तन के साथ अच्छे संबंध में रहती हैं और इस तरह से प्राकृतिक अपघातों का सामना करने में सहायक हो सकती हैं।
- वन्यजीव संरक्षण कानून: संबंधित कानूनों के तहत वन्यजीवों के संरक्षण और उनके हानिकारक प्रभावों से बचाव के लिए सरकार कार्य कर रही है। इसमें वन्यजीवों के लिए अभयारण्य और संरक्षण क्षेत्रों की स्थापना, जनसंख्या नियंत्रण, वातावरणीय संरक्षण, और जागरूकता प्रदान करने जैसे अनेक उपाय शामिल हैं।
वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रम:
- प्रोजेक्ट टाइगर: 1973 में शुरू किया गया यह राष्ट्रीय कार्यक्रम बाघों की घटती संख्या को बढ़ाने पर केंद्रित है। मध्यप्रदेश में कान्हा, बांधवगढ़, और पेंच राष्ट्रीय उद्यान इस कार्यक्रम के अंतर्गत आते हैं। इन उद्यानों में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
- हाथी संरक्षण कार्यक्रम: हाथियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए यह कार्यक्रम 2010 में शुरू किया गया था। इसमें हाथियों के लिए आवासों का विकास, मानव-हाथी संघर्ष कम करना, और वन विभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना शामिल है।
- गेंडा संरक्षण कार्यक्रम: 2008 में शुरू किया गया, यह कार्यक्रम गेंडों की सुरक्षा और संख्या वृद्धि पर केंद्रित है। मध्यप्रदेश में कान्हा और पेंच राष्ट्रीय उद्यान गेंडों के महत्वपूर्ण आवास हैं।
- वन्यजीव पुनर्वास केंद्र: घायल या अनाथ वन्यजीवों को चिकित्सा सहायता और पुनर्वास प्रदान करने के लिए अनेक केंद्र स्थापित किए गए हैं।
- जागरूकता अभियान: वन विभाग वन्यजीव संरक्षण के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करने हेतु स्कूलों, ग्रामीण क्षेत्रों, और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाता है।
इन कार्यक्रमों के अलावा, मध्यप्रदेश सरकार वन्यजीव संरक्षण के लिए अनेक अन्य पहल भी कर रही है, जिनमें शामिल हैं:
- अभयारण्यों और संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना: वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करने के लिए।
- अवैध शिकार पर रोक: वन विभाग द्वारा सख्त गश्त और कानूनी कार्रवाई।
- वन्यजीव अनुसंधान: वन्यजीवों और उनके आवासों के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त करने के लिए।
- स्थानीय समुदायों को शामिल करना: वन्यजीव संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
चुनौतियाँ:
- अवैध शिकार: यह वन्यजीवों के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।
- आवास का नुकसान: वनों की कटाई और विकास के कारण प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष: बढ़ती आबादी के कारण मनुष्यों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन वन्यजीवों के लिए खतरा पैदा करता है।
वन्यजीव संरक्षण की तकनीकी और व्यावसायिक उपाय
वन्यजीव संरक्षण के लिए तकनीकी उपाय:
- जंगल ट्रैकिंग सिस्टम: वन्यजीवों की गतिविधियों पर नज़र रखने और शिकारियों का पता लगाने के लिए जंगलों में जंगल ट्रैकिंग सिस्टम स्थापित किए जा सकते हैं।
- ड्रोन निगरानी: वन्यजीवों और उनके आवासों की निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है।
- कैमरा ट्रैपिंग: वन्यजीवों की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिए कैमरा ट्रैप का उपयोग किया जा सकता है।
- सैटेलाइट इमेजरी: वनों की कटाई और अवैध गतिविधियों की निगरानी के लिए सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग किया जा सकता है।
- जैव विविधता डेटाबेस: वन्यजीवों और उनके आवासों के बारे में डेटा इकट्ठा करने और प्रबंधित करने के लिए जैव विविधता डेटाबेस स्थापित किए जा सकते हैं।
वन्यजीव संरक्षण के लिए व्यावसायिक उपाय:
- इको-टूरिज्म: वन्यजीवों को देखने के अवसर प्रदान करके इको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता है। यह स्थानीय समुदायों के लिए आय और रोजगार के अवसर भी प्रदान कर सकता है।
- वन उपज का स्थायी उपयोग: वन उपज जैसे कि लकड़ी, बांस और औषधीय पौधों का स्थायी रूप से उपयोग किया जा सकता है।
- शिक्षा और जागरूकता: वन्यजीव संरक्षण के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। स्कूलों और समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
- अनुसंधान और विकास: वन्यजीवों और उनके आवासों के बारे में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
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