सतत कृषि
सतत कृषि एक ऐसी पद्धति है जिसमें कृषि के दीर्घकालिक स्थायित्व और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखा जाता है। इसका उद्देश्य पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना उच्च गुणवत्ता वाली कृषि उत्पादों का उत्पादन करना है।
निम्नलिखित बिंदुओं में सतत कृषि के विभिन्न पहलुओं को समझाया गया है:
जैविक खेती और प्राकृतिक खेती
जैविक खेती:
- परिभाषा: जैविक खेती एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और हर्बिसाइड्स का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके बजाय, प्राकृतिक उर्वरकों और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है।
- लाभ:
- मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना।
- पर्यावरण पर कम नकारात्मक प्रभाव।
- स्वस्थ और रसायन-मुक्त उत्पाद।
- तकनीकें:
- कम्पोस्टिंग: कृषि अवशेषों और जैविक कचरे से खाद बनाना।
- हरी खाद: खेतों में हरी फसलें उगाकर और उन्हें मिट्टी में मिलाकर उर्वरता बढ़ाना।
- फसल चक्रीकरण: विभिन्न फसलों को बदल-बदल कर उगाना ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और कीटों का नियंत्रण हो सके।
प्राकृतिक खेती:
- परिभाषा: प्राकृतिक खेती एक प्रकार की जैविक खेती है जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए कृषि की जाती है, और बाहरी इनपुट जैसे रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता।
- लाभ:
- लागत में कमी।
- पर्यावरण संतुलन।
- स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पाद।
- तकनीकें:
- जीवामृत: देसी गाय के गोबर और गोमूत्र से तैयार जैविक खाद।
- बीजामृत: बीज उपचार के लिए जैविक मिश्रण।
- आच्छादन (मल्चिंग): मिट्टी को ढकने के लिए फसल अवशेषों का उपयोग।
पर्यावरण अनुकूल कृषि पद्धतियाँ:
- मिश्रित खेती: विभिन्न प्रकार की फसलों को एक साथ उगाने से मिट्टी की उर्वरता और कीटों और रोगों के प्रकोप को कम करने में मदद मिलती है।
- अनुसूचित सिंचाई (Scheduled irrigation): पानी बचाने और जल उपयोग दक्षता में सुधार करने में मदद करती है।
- कृषि वानिकी (Agroforestry): पेड़ों और फसलों को एक साथ उगाने से मिट्टी के क्षरण को रोकने, जैव विविधता को बढ़ाने और किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करने में मदद मिलती है।
- जैविक खाद और कीटनाशक: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के विकल्पों के रूप में जैविक खाद और कीटनाशकों का उपयोग।
- परिशुद्ध कृषि (Precision agriculture): आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता, पानी और कीटनाशकों के उपयोग को अधिक कुशलता से प्रबंधित करने में मदद करती है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना:
- परिचय: इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी मिट्टी की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करना है। इससे उन्हें अपनी मिट्टी के लिए उपयुक्त उर्वरकों और पोषक तत्वों का उपयोग करने में सहायता मिलती है।
- उद्देश्य:
- मिट्टी की उर्वरता में सुधार।
- किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्वों की कमी के बारे में जानकारी प्रदान करना।
- संतुलित और वैज्ञानिक तरीकों से उर्वरकों का उपयोग करना।
- कार्यान्वयन:
- मृदा नमूनों का संग्रह और परीक्षण।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण जिसमें मिट्टी की पोषक तत्व स्थिति, PH स्तर, और अन्य मापदंड शामिल होते हैं।
- उर्वरक और पोषक तत्वों के उपयोग के लिए सिफारिशें।
- लाभ:
- मृदा स्वास्थ्य में सुधार।
- फसल उत्पादन में वृद्धि।
- उर्वरक की बचत और पर्यावरणीय संतुलन।
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