मध्यप्रदेश में सहायक कृषि क्षेत्र:
मध्यप्रदेश, भारत का ह्रदय प्रदेश, न केवल अपनी समृद्ध कृषि विरासत और विविध फसलों के लिए जाना जाता है, बल्कि यह विभिन्न सहायक कृषि क्षेत्रों में भी अग्रणी है।
यह राज्य पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन और रेशम उत्पादन (सेरीकल्चर) जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
1. पशुपालन और डेयरी उद्योग:
- मध्यप्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है और इसकी डेयरी उद्योग राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- राज्य में भैंस और गायों की विभिन्न नस्लों को पाला जाता है, जो दूध, मांस, चमड़े और अन्य उत्पादों का उत्पादन करते हैं।
- सरकार पशुपालन और डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जैसे कि राष्ट्रीय पशुधन मिशन और डेयरी विकास योजना।
2. मत्स्य पालन:
- मध्यप्रदेश में मछली पालन एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है, जो राज्य के लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करती है।
- राज्य में कई नदियां, तालाब और जलाशय हैं जो मछली पालन के लिए अनुकूल हैं।
- सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जैसे कि नीली क्रांति योजना और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा विकास योजना।
3. कुक्कुट पालन (पोल्ट्री फार्मिंग):
- मध्यप्रदेश में कुक्कुट पालन तेजी से बढ़ रहा है, जो अंडे और मांस की बढ़ती मांग को पूरा करता है।
- राज्य में कई आधुनिक कुक्कुट पालन फार्म हैं जो उच्च गुणवत्ता वाले अंडे और मांस का उत्पादन करते हैं।
- सरकार कुक्कुट पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जैसे कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और राष्ट्रीय डेयरी विकास योजना।
4. रेशम उत्पादन (सेरीकल्चर):
- मध्यप्रदेश रेशम उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है और राज्य में उत्पादित रेशम को इसकी उच्च गुणवत्ता और चमक के लिए जाना जाता है।
- सेरीकल्चर (Sericulture) एक महत्वपूर्ण उद्योग है जो कि सिल्क की उत्पादन पर आधारित होता है। इस उद्योग में सिल्क रेशम की खेती, पालन, और उसकी उत्पादन प्रक्रिया शामिल होती है।
- राज्य में रेशम उत्पादन का एक लंबा इतिहास रहा है और यह कई लोगों के लिए आजीविका का स्रोत है।
- सरकार रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जैसे कि केंद्रीय रेशम बोर्ड योजना और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना।
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