मुख्यमंत्री ग्रामीण भूमि संरक्षण योजना मध्यप्रदेश सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का संरक्षण और सुधार करना है। इस योजना के तहत भूमि की गुणवत्ता को सुधारने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने, और पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए जाते हैं। यहाँ इस योजना के कुछ मुख्य पहलुओं का वर्णन किया गया है:
1. भूमि संरक्षण के उपाय
- टेरेसिंग और कंटूर बंधन: पहाड़ी और ढलान वाले क्षेत्रों में भूमि कटाव को रोकने के लिए टेरेसिंग और कंटूर बंधन का उपयोग किया जाता है।
- चेक डैम और स्टॉप डैम: जल संग्रहण और भूमि कटाव को रोकने के लिए चेक डैम और स्टॉप डैम का निर्माण किया जाता है।
- सिचाई के साधन: जल संरक्षण और सिंचाई के लिए नहरों, तालाबों और अन्य जल स्रोतों का विकास किया जाता है।
2. मृदा सुधार और उर्वरता बढ़ाना
- हरी खाद: भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए हरी खाद का उपयोग प्रोत्साहित किया जाता है।
- मृदा परीक्षण: किसानों को मृदा परीक्षण की सुविधा प्रदान की जाती है ताकि वे अपनी भूमि की उर्वरता के बारे में जान सकें और आवश्यक सुधार कर सकें।
- सुधारात्मक उर्वरक: भूमि की गुणवत्ता सुधारने के लिए आवश्यक सुधारात्मक उर्वरक और खाद की आपूर्ति की जाती है।
3. कृषि वानिकी और वृक्षारोपण
- वन और वृक्षारोपण: भूमि संरक्षण के लिए वृक्षारोपण और वन संवर्धन को बढ़ावा दिया जाता है।
- कृषि वानिकी: किसानों को कृषि वानिकी के लाभों के बारे में जागरूक किया जाता है और उन्हें वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
4. जल संरक्षण और प्रबंधन
- माइक्रो इरिगेशन: जल संरक्षण के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों का उपयोग प्रोत्साहित किया जाता है।
- वॉटरशेड मैनेजमेंट: जल संग्रहण और पुनर्भरण के लिए वॉटरशेड प्रबंधन तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
5. समुदाय सहभागिता और प्रशिक्षण
- किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम: किसानों को भूमि संरक्षण और सुधार के विभिन्न उपायों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है।
- सामुदायिक भागीदारी: भूमि संरक्षण परियोजनाओं में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।
6. वित्तीय सहायता और सब्सिडी
- सब्सिडी: भूमि सुधार और संरक्षण उपायों के लिए किसानों को सब्सिडी प्रदान की जाती है।
- वित्तीय सहायता: भूमि संरक्षण परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
7. निगरानी और मूल्यांकन
- निगरानी: योजना के कार्यान्वयन की निगरानी की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी गतिविधियाँ सही तरीके से हो रही हैं।
- मूल्यांकन: योजना के प्रभाव और सफलता का मूल्यांकन किया जाता है और आवश्यक सुधार किए जाते हैं।
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